राजस्थान : राहुल गांधी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में की जियारत - Punjab Kesari
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राजस्थान : राहुल गांधी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में की जियारत

11 दिसंबर को अन्य राज्यों के साथ ही राजस्थान के भी नतीजे आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर अकीकत के फूल और चादर पेश कर जियारत की। इस अवसर पर गांधी के साथ राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मौजूद रहे। दरगाह शरीफ में गांधी परिवार के खादिमों ने राहुल गांधी को परंपरागत तरीके से जियारत करवाई।

राहुल गांधी पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर में पूजा अर्चना की। पूजा के दौरान ने राहुल गांधी ने अपने गोत्र बताया। राहुल के दरगाह आने पर कांग्रेस नेताका कहना हैं, ‘राहुल के यहां जियारत को आने को राजनीति ले मत जोड़िए, गरीब नवाज का दर तो सबके लिए खुला है। ये पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने अजमेर शरीफ में माथा टेका हो इससे से पहले भी राहुल एक बार अजमेर शरीफ जा चुके है।

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”राहुल ने इसको लेकर ट्वीट भी किया कि वह अपने राजस्थान दौरे की शुरुआत दरगाह और मंदिर में माथा टेककर करेंगे”। राहुल गांधी राजस्थान के पश्चिमी हिस्से जैसलमेर के पोकरण सहित तीन स्थानों पर चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। गौरतलब है कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर 7 दिसंबर को मतदान होगा।

11 दिसंबर को अन्य राज्यों के साथ ही राजस्थान के भी नतीजे आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को राजस्थान के अजमेर में रैली को संबोधित किया था। इस दौरान मोदी ने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। आज भी प्रधानमंत्री की भीलवाड़ा, कोटा और बेणेश्वेर धाम में रैलियों को संबोधित करेंगे।

कांग्रेस की रणनीति में बड़ा बदलाव 
दरअसल, कांग्रेस अब अपने को सिर्फ मुसलमानों की पार्टी की शक्ल में नहीं दिखाना चाहती। राहुल के कांग्रेस पार्टी का चेहरा बनने के बाद कांग्रेस की रणनीति में बड़ा बदलाव आया है। वहीं, बीजेपी ने मोदी के चुनाव अभियान की शुरुआत अलवर से इसलिए कराई कि यह वही जिला है, जहां गोरक्षा के नाम पर पहलू खां और रकबर की जानें ली गईं, इसके बाद यह जिला सांप्रदायिक नजरिये से बहुत संवेदनशील बन चुका है। उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी को हराकर बड़ा झटका दे चुकी है। इसके अगले दिन उनकी भीलवाड़ा में भी रैली होनी है, जहां जब-तब कोई न कोई सांप्रदायिक हिंसा की छोटी-बड़ी घटना होती ही रहती है। उपचुनाव में बीजेपी को यहां भी हार का सामना करना पड़ चुका है। इन सारी जगहों पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की भी रैलियां आयोजित की जा रही हैं।

 

अजमेर का सियासी समीकरण
अजमेर में 8 विधानसभा सीटें हैं और अगर 2013 के चुनाव नतीजों की बात करें, तो सभी की सभी सीटें बीजेपी ने जीत लीं थी। इसमें कोई शक नहीं कि वर्ष 2013 के मुकाबले अब बहुत सारे बदलाव आए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इसी अजमेर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी को हरा चुकी है। राहुल गांधी की अजमेर से चुनावी अभियान की शुरुआत भी इसलिए कराई जा रही है कि कांग्रेस की उम्मीदें बहुत उफान पर हैं।

पार्टी को लगता है कि उपचुनाव की कहानी को विधानसभा के चुनाव में दोहराया जा सकता है। पार्टी यहां पर गुर्जर, राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण, ईसाई, माली, वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय को अपने साथ गोलबंद करने में जुटी हुई है। वहीं, बीजेपी को मुख्य फोकस जाट व रावतों पर है।

जातिगत आधार पर अगर देखा जाए तो अजमेर में सबसे ज्यादा जाट और रावत ही हैं। वैसे अगर आप बीजेपी के नेताओं से बात करें, तो उन्हें इस बात का अहसास है कि 2013 जैसा प्रदर्शन करने के लिए वोटों का बंटवार रोकना होगा। इसके लिए वे ‘धार्मिक गोलबंदी’ जैसे शब्द का तो इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि इसकी जगह ‘राष्ट्रीयता’ और ‘राष्ट्र भावना’ जैसे भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।

बीजेपी की यह रणनीति
संघ से जुड़े बीजेपी के बुजुर्ग कार्यकर्ताओं से एक होटेल में बातचीत का मौका मिला। यह टीम डोर टु डोर कैंपेन कर रही है। हमने पूछा कि क्या जातीय समीकरण आप लोग देख रहे हैं अजमेर में? जवाब मिला कि ‘जब आप जाति की बात करेंगे, तो राष्ट्र कमजोर होगा। कांग्रेस यही काम कर रही है, वह जातियों के पाले खींच कर वोट ले रही है और राष्ट्र को कमजोर रही है, लेकिन हमलोग वोटर्स को समझा रहे हैं कि राष्ट्र के लिए एकजुट होना होगा।’

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