जयपुर : राजस्थान हाई कोर्ट के जज एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के.एस. झवेरी ने कहा है कि न्यायपालिका लोगों के मानवाधिकार, मौलिक अधिकार, संवैधानिक और विधिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सदैव कटिबद्ध है।
न्यायमूर्ति श्री झवेरी आज राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं ग्लोबल अलायंस फॉर ह्यूमन राइट्स के सहयोग से विश्व एड्स दिवस के मौके पर राजस्थान हाई कोर्ट परिसर के मध्यस्थता केंद्र में आयोजित किये गए एचआईवी-एड्स पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय ऑरियंटेशन एण्ड कंसलटेशन प्रोग्राम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
एचआईवी ग्रस्त व्यक्तियों के संरक्षण के लिए कानून में कई प्रावधान हैं, जो उन्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जीने का अवसर प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से हमारा प्रयास है कि पीड़त और वंचित वर्गों को उनके अधिकार मिले और वे न्याय से वंचित न रहें। साथ ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि एचआईवी व एड्स पीड़त व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने एचआईवी एण्ड एड्स एक्ट-2017 बनाया है।
जिसके अन्तरगत एचआईवी एवं एड्स से ग्रसित व्यक्तियों के मानवाधिकारों के साथ-साथ उनकी देखभाल, उपचार एवं सहयोग सहित अन्य अधिकारों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एचआईवी एवं एड्स पीड़त व्यक्तियों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहेगा।
प्राधिकरण के सदस्य सचिव एस.के. जैन के द्वारा योग एवं प्राणायाम और विभिन्न औषधियों के प्रयोग से एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। ग्लोबल अलायंस फॉर ह्यूमन राइट्स के अध्यक्ष बृजेश दुबे ने बताया कि एचआईवी से ग्रस्त व्यक्ति खुद को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से विकलांग समझने लगता है, लेकिन व्यक्ति समय पर उपचार के द्वारा स्वस्थ जीवन जी सकता है।