महिला हिंसा के मामले में जयपुर जिला पहले स्थान और अलवर दूसरे स्थान पर है जबकि महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित जिले जैसलमेर, बीकानेर और सिरोही हैं। जयपुर में ‘सेव द चिल्ड्रन ‘ और राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संस्था, रूवा द्वारा महिलाओं और बालिकाओं को हिंसा से आजादी दिलवाने के विषय पर आयोजित कार्यशाला में आज यह बात सामने आई।
कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि हिंसा के प्रति युवा वर्ग को जागरूक व जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है।
राजस्थान में महिला हिंसा के आंकड़े की जानकारी देते हुए सेव द चिल्ड्रन के रमाकांत सतपति ने बताया कि भारत में होने वाली कुल महिला हिंसा के 8 प्रतिशत मामले राजस्थान में होते हैं जबकि बालिकाओं के प्रति हिंसा 4.1 प्रतिशत है। पिछले सालों की तुलना में बच्चों के प्रति हिंसा में बढ़त्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत राजस्थान में 2015 में 222 मामले दर्ज हुये थे जबकि 2016 में 1479 मामले दर्ज होना गंभीर चिंता का विषय है।
सेव द चिल्ड्रन के राज्य समन्वयक संजय शर्मा ने कहा कि आजादी के 69 वर्ष बीत जाने पर भी महिलाएं हिंसा का सामना करती है और हम अब तक महिलाओं व बालिकाओं के लिए सुरक्षित वातावरण का निर्माण नहीं कर पाये है।
महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रो.लाड़कुमारी जैन ने कहा कि घरेलू हिंसा व यौन हिंसा की रोकथाम में सरकार विफल रही है। बच्चियों पर यौन हिंसा के मामलों में बढ़त्तरी उनके सुरक्षित भविष्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ करती है। रूवा की पूर्व अध्यक्ष जी.जे.उन्नीथान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और भी भयावह है, शहरीकरण के चलते गांव तबाह हो गये हैं।
वन बिलियन राइजिंग केम्पेन की राष्ट्रीय समन्वयक आभा भैया ने कहा कि हिंसा के प्रति युवा वर्ग को जागरूक व जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है। आज पिता, दादा, शिक्षक और नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा बालिकाओं के साथ बलात्कार की घटनायें सामने आ रही है, इससे बुरा समय और क्या होगा। महिला हिंसा में चुनौतियां और भविष्य की राह के विषय पर बोलते हुए डॉ प्रीतम पाल ने कहा कि वैश्वीकरण के चलते हमने भी उपयोग करो और फेंको की मानसिकता अपना ली है। ये युवा पीढ़ की मानसिकता पर गंभीर असर डाल रही है।
डॉ रेणुका पामेचा ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ता के सुरक्षित भविष्य के लिए योजनाएं बनाई जाने के साथ-साथ राज्य में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
रूवा की अध्यक्ष प्रो.आशा कौशिक ने कार्यकम के अन्तिम सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिविल सोसाइटी को हिंसा की रोकथाम के लिए सक्रिय कदम उठाने के साथ-साथ सरकार के सामने सच रखना चाहिए। महिलाओं की सदियों से चली आ रही भूमिकाओं को बदलने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हर महिला को उसका अधिकार मिलना चाहिए और उसे सम्मान से देखा जाये।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।