अजमेर शरीफ दरगाह परिसर में शिव मंदिर होने के दावे पर चल रहे मामले की सुनवाई शुक्रवार को नहीं हो सकी। कोर्ट में वर्क सस्पेंड होने के कारण इस मामले को 19 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। अजमेर बंद को जिला बार एसोसिएशन का समर्थन मिलने से अदालतों में भी कामकाज प्रभावित हुआ। यह सुनवाई सिविल कोर्ट वेस्ट में होनी थी, जिसमें हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह की जगह पर पहले शिव मंदिर था।
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अजमेर बंद के कारण टली सुनवाई
हिंदू पक्ष का कहना है कि इस मामले में 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हिंदू सेना ने इस स्थान के ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों की जांच की मांग की है। उनके दावे में 1911 में प्रकाशित एक किताब का भी उल्लेख किया गया है। हिंदू सेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण कुमार सिन्हा पक्ष रखने वाले थे। हालांकि, अजमेर बंद के कारण वकीलों ने भी अपनी कार्यवाही स्थगित रखी, जिससे बहस नहीं हो पाई। बताया गया कि विष्णु गुप्ता के वकील तरुण कुमार सिन्हा विशेष रूप से सुनवाई के लिए अजमेर पहुंचे थे, लेकिन कार्यवाही नहीं होने के कारण उन्हें लौटना पड़ा। अब इस मामले की सुनवाई 19 अप्रैल को होगी, जिसमें याचिका को खारिज करने सहित अन्य मुद्दों पर बहस होगी।
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अजमेर दरगाह समिति ने किया विरोध
अजमेर दरगाह समिति ने हिंदू सेना के दावे को खारिज किया है। उनका कहना है कि दरगाह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी है, जहां सभी धर्मों के लोग आते हैं। इस मामले को लेकर पूरे देश की नजरें अजमेर कोर्ट पर टिकी हुई हैं। हिंदू सेना के दावे और इसके विरोध में बढ़ रही चर्चाओं के कारण यह मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।