राजस्थान : भाजपा को झटका, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र कांग्रेस में शा‌मिल - Punjab Kesari
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राजस्थान : भाजपा को झटका, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र कांग्रेस में शा‌मिल

पिछले लोकसभा चुनाव में वसुंधरा की वजह से उनके पिता जसवंत सिंह को टिकट नहीं मिला था। तब

नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच नेताओं के पार्टी छोडने और ‌विरोधी खेमें में जा ‌मिलने की खबरे आनी शुरू हो गई है। बीते दिनों राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी का दामन छोड़ने वाले मानवेंद्र सिंह अब कांग्रेस में शामिल होंगे। वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जसवंत सिंह के बेटे और विधायक मानवेंद्र सिंह कुछ दिन पहले ही बीजेपी से नाता तोड़ चुके हैं। उन्होंने राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। मानवेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर चर्चा का विषय था और 2018 में भी हर कोई बाड़मेर की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर में इससे पहले कई गौरव औप संकल्प रैली हो चुकी हैं।

बाड़मेर से विधायक मानवेंद्र बाड़मेर और पचपदरा में वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा से नदारद रहे। इतना ही नहीं मानवेंद्र ने पचपदरा में अलग से अपनी स्वाभिमान रैली बुलाई । पिछले लोकसभा चुनाव में वसुंधरा की वजह से उनके पिता जसवंत सिंह को टिकट नहीं मिला था। तब वो निर्दलीय चुनाव लड़े थे और हार गए थे। तभी से मानवेंद्र पार्टी से खफा हैं। राजपूत वोटों पर मानवेंद्र की अच्छी पकड़ है। ऐसे में वो बीजेपी के लिए सिर दर्द बन सकते हैं। मानवेंद्र सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं राजस्थान में इस समुदाय का अच्छा-खास वोटबैंक है जो कई सीटों पर हार-जीत का फैसला कर सकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उन्होंने  एक ब्लॉग लिखा था जिसमें उन्होंने अपने पिता जसवंत सिंह और वाजपेयी के रिश्तों का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि उनके पिता जसवंत सिंह को अटल जी ‘हनुमान’ कहते थे क्योंकि गठबंधन की सरकार चला रहे वाजपेयी के लिये हमेशा वह ‘संकटमोचक’ का काम करते थे। मानवेंद्र ने यह भी बताया कि उनके पिता को जब बीजेपी से निलंबित किया गया तो अटल जी बहुत दुखी थे। आपको बता दें कि जसवंत सिंह को कुछ साल पहले ब्रेन हेमरेज हुआ था उसके बाद से वह बीमार हैं और सार्वजनिक जीवन से बिलकुल दूर हैं।

आपको बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 162 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रचा था। 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें ही मिल पाईं थी। इससे पहले बेहतरीन प्रदर्शन का रिकार्ड कांग्रेस के नाम था, जिसने 1998 में 153 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2013 से पहले कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन 1977 में रहा था जब पार्टी को 41 सीटें मिली थीं।

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