राजस्थान की पिंक सिटी में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल चल रहा है वही , हिन्दी की वरिष्ठ कथा लेखिका चित्रा मुदगल ने कहा है कि किन्नरों को भी समाज में सम्मान से जीने और शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एक सत्र में उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ट्रांसजेंडर की कोई अलग दुनिया नहीं होती, वे भी हमारे समाज के अंग है लेकिन दुर्भाज्ञ है कि उन्हें आज तक यह हक नहीं मिला कि वे समाज में सिर उठाकर जी सकें।
साहित्यकार नंद भारद्वाज के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि तृतीय लिंग वालों को राजमहलों में आमोद प्रमोद के लिए रखा जाता था लेकिन इनके जीवन स्तर के सुधार के बारे में कभी सोचा नहीं गया।
इन्हें तो बाकायदा ट्रेनिंग ही यह दी जाती है कि कपड़े ऊंचे कर ताली बजाकर लोगों को कैसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूले जाएं। यदि इन्हें अच्छी शिक्षा दी जाए तो ये भी सम्मानजनक नागरिक बन सकते हैं।
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