राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) से कांग्रेस नेताओं को हटाने की निंदा करते हुए बुधवार को कहा कि सरकार इस तरह के कदमों से नेहरू की विरासत को खत्म नहीं कर पायेगी।
गहलोत ने ट्वीट किया कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है कि सरकार ने एनएमएमएल से उदार और स्वतंत्र सोच रखने वाले उन सभी विद्वानों को हटा दिया जो नेहरू की विचारधारा में विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस तरह के छोटे कदम से नेहरू की विरासत को खत्म नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि सरकार ने एनएमएमएल सोसाइटी का पुनर्गठन करते हुए उसके सदस्यों में से कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और कर्ण सिंह को हटा दिया है और टीवी पत्रकार रजत शर्मा तथा प्रसून जोशी सहित अन्य लोगों को इसमें शामिल किया है।
मंगलवार को जारी एक आदेश के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोसाइटी के अध्यक्ष हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष हैं। इसके सदस्यों में केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, निर्मला सीतारमण, रमेश पोखरियाल, प्रकाश जावड़ेकर, वी मुरलीधरन और प्रह्लाद सिंह पटेल के अलावा आईसीसीआर अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश आदि शामिल हैं।
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आदेश के अनुसार, अन्य सदस्यों में अनिर्बान गांगुली, सच्चिनानंद जोशी, कपिल कपूर, लोकेश चंद्र, मकरंद प्रान्जपे, किशोर मकवाना, कमलेश जोशीपुरा, रिजवान कादरी शामिल हैं। इससे पहले, केंद्र ने टेलीविजन पत्रकार अर्नब गोस्वामी, पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर, भाजपा विधायक विनय सहस्रबुद्धे और आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय को एनएमएमएल सोसाइटी का सदस्य नियुक्त किया था।