सियासी आशीर्वाद के बाद भी नहीं बहाल हो पाई बैलगाड़ियों की दौड़ - Punjab Kesari
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सियासी आशीर्वाद के बाद भी नहीं बहाल हो पाई बैलगाड़ियों की दौड़

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लुधियाना : अंतरराष्ट्रीय मिनी ओलंपिक्स के नाम से देश में प्रसिद्ध किलारायपुर खेल मेले में आकर्षण के केंद्र रही प्राचीन बैलगाडिय़ों की दौड़ पिछले तीन सालों से नहीं हो रही है और इस बार भी किलारायपुर खेल मेले की शान-शौकत समझे जाने वाली यह दौड़ नहीं हो पाएगी, जिससे किलारायपुर में होने वाले खेले मेले के अस्तित्व पर प्रश्रचिन्ह लगते जा रहे है। हालांकि देश-विदेश से प्राचीन खेल मेले की प्रसिद्धि के बलबूते पर खेल प्रेमी खिचे चले आते है। कोई दर्शक खेल देखने को आते है तो कई अपना शौंक पूरा करने को सैकड़ों मीलों का सफर तय करके पहुंचते है। राजनीतिक सहयोग मिलने के बावजूद भी ग्रेवाल स्पोट्र्स एसोसिएशन के प्रबंधक बैलगाड़ी दौड़ पर लगे प्रतिबंध को हटवाने में नाकाम रही है।

कांग्रेस सरकार के अलावा अन्य राजनेताओं से मिले सहयोग के चलते पिछले छह महीने से वह बैलगाड़ी दौड़ पर लगे प्रतिबंद को हटाने के लिए हाथ पैर मार रहे थे, परंतु कोशिश नाकाम रही। पिछले तीन सालों से दर्शकों के मनोरंजन के लिए घोड़ा दौड़ करवाई जा रही थी। जोकि इस बार नहीं करवाई जा रही है। घोड़ा दौड़ न होने का कारण घोड़े में होने वाली ग्लैडर्स बीमारी है। जो एक जानवर से दूसरे जानवर में फैल रही है। गौर हो कि पिछली बार भी आयोजकों की ओर से बैल गाड़ी दौड़ करवाने के लिए बहुत प्रयास किए गए थे। परंतु अकाली सरकार ने उनका सहयोग नहीं दिया। जिस कारण एसोसिएशन को बैल गाडिय़ों की दौड़ करवाने की परमिशन नहीं मिली है।
काबिलेजिक्र हो कि तामिलनाडू में जल्लीकट्टू खेलो पर बैन लगने के बाद ही बैल गाडिय़ों की दौड़ पर भी बैन लग गया था। तामिलनाडू की सरकार के सहयोग से जल्लीकट्टू खेल करवाने की मंजूरी मिल चुकी है। परंतु किलारायपुर की खेलों को अभी तक परमिशन नहीं मिल रही। इसके लिए गवर्नर, सीएम, एमएलए तक को भी मांग पत्र दिए जा चुके है। परंतु इस प्रस्ताव को विधानसभा में पास नहीं करवाया गया।

कुत्ता दौड़ की परमिशन के लिए प्रयास जारी
ग्रेवाल स्पोट्र्स एसोसिएशन के प्रधान गुरशनदीप सिंह और सचिव बलविंदर सिंह जग्गा ने बताया कि कुत्तो की दौड़ हर साल करवाई जाती है और साल भी करवाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे है। डीसी से इस बारे में मीटिंग की जा चुकी है। कुत्तो की दौड़ की परमिशन मिलने के बाद ही वह कुत्तो की दौड़ करवाएंगे। कानून के दायरे में रहकर ही सभी काम किए जाएंगे।

घोडों में फैली बिमारी से दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा दहला
घोडो में फैली नई बिमारी ग्लैडर्स के चलते हर जगह तहलका मच गया है। पंजाब समेत दिल्ली, यूपी, हरियाणा में भी घोड़ो पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि यह और न फैल सके। प्रधान गुरशनदीप सिंह, सचिव बलविंदर सिंह तथा सीनियर एडवाइजर जगबीर सिंह ग्रेवाल ने बताया कि 23-24 जनवरी को बद्दोवाल में होने वाले मेले के दौरान भी घोड़ो की दौड़ नहीं होने दी गई थी। इसके बाद दिल्ली में 26 जनवरी के दौरान भी घोड़ो की प्रदर्शनी पर काफी विचार किया गया था। जिसके पश्चात ही घोड़ो की प्रदर्शनी की गई थी। अब किलारायपुर में भी घोड़ो पर इस बिमारी के चलते रोक लगाई गई है, ताकि एक दूसरे यह बिमारी न फैले। आयोजको ने बताया कि घोड़ो पर लगी रोक को जल्द ही हटा दिया जाएगा।

बैलगाड़ी धावक अंतिम दिन करेंगे रोष जाहिर
ग्रेवाल स्पोट्र्स एसोएिशन के सचिव बलविंदर सिंह ने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले किलारायपुर खेल मेले के अंतिम दिन वह अपना रोष जाहिर करेंगे। इस दौरान पिछली बार की विजेता रही माणकी बैल बाकि बैलो की अगुवाई करेगी। इस दौरान बैल दौड़ाक बैलो को किलारायपुर के मैदान में लाएंगे और मैदान में लाकर अपना रोष शांतिपूर्वक जाहिर करेंगे। ताकि सरकार तक इसकी आवाज पहुंचे और किलारायपुर खेल मेले की शान बैल दौड़ पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाए। उन्होंने यह भी बताया कि बैल दौड़ कि लारायपुर खेल मेले की शान है। इसके न होने से मेले का रंग फीका पड़ता जा रहा है। बैल गाड़ी दौड़ को देखने के लिए विदेश से लोग आते है।

– सुनीलराय कामरेड, रीना अरोड़ा

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