लुधियाना-अमृतसर : 4 सालों से ‘ झूठी आस ’ के सहारे दिन काट रही ममतामयी मांओं के लिए आज मंगलवार का दिन उस वक्त अमंगलकारी सिद्ध हुआ, जब इराक शहर के मौसूल में आईएसआई आतंकियों की चंगुल में फंसे उनके जिगर के टुकड़ों के मरने की पुष्टि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने भारी मन से दिल्ली में की। काफी लम्बे समय से अपनों की वापिसी का इंतजार कर रहे वारिसों पर आज का दिन कहर बनकर टूटा। इराक में लापता हुए 39 भारतीयों के परिवारों से दो दर्जन से ज्यादा लोग पंजाब से संबंधित है। हालांकि पिछले साल अक्तूबर में इन परिवारों के नजदीकी वारिसों की परेशानियों के बीच डीएनए टैस्ट लिए गए थे, तो उस वक्त भी सभी के चेहरों पर खौफ सा दर्द था और किसी भी अनहोनी के डर से इनके मन बार-बार वाहेगुरू के आगे अरदास कर रहे थे।
यह समस्त नौजवान 2013 में रोजीरोटी की तलाश में एजेंटों द्वारा दुबुई गए थे परंतु गलत एजेंटों के शिकंजे में फंसने के कारण इन्हें दुबुई के स्थान पर इराक भेज दिया गया और कुछ वक्त रहे के बाद ही 11 जून 2014 से लापता हो गए। पंजाबियों की त्रासदी यही है कि समस्त 39 भारतीयों में से 28 का संबंध पंजाब से है, जिसमें 8 सीमावर्ती जिले अमृतसर के है। जबकि 5 का संबंध अखबारों के शहर के नाम से विख्यात जालंधर से है, इसके अलावा 3 लोग सरहदी इलाके बटाला, 2 गुरदासपुर और 2 होशियारपुर के रहने वाले थे। मृतकों में एक-एक कपूरथला और संगरूर के धुरी का बताया जा रहा है।
इराक में मारे गए गुरदीप सिंह की मौत की खबर सुनते ही उसकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। होशियारपुर जिले से संबंधित गुरदीप सिंह पुत्र मुख्तयार सिंह निवासी जेतपुर की मौत की पुष्टि के उपरांत उसके घर में मातम छा गया। नौजवान गुरदीप की मौत के बारे में जानते ही उसकी मां सुरिंद्र कौर बेहोश हो गई, जिसे गांव वासियों ने तुरंत अस्पताल में दाखिल करवा है। इस दौरान गुरदीप सिंह के बच्चों और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। मृतक के बच्चे हाथों में गुरदीप सिंह की तस्वीर थामें उसे याद कर रहे थे। जबकि दूसरी तरफ लुधियाना के नजदीक नकोदर के गांव बाठकलां के रहने वाले रूपलाल के घर में भी ऐसा ही शोकमयी माहौल था।
उसकी बीवी कंवलजीत कौर का रो-रोकर बुरा हाल है। जबकि उसका दावा था कि जब तक अधिकृत तौर पर उसके पति की मौत के बारे में पता नही लगता, वह किसी के कहने पर उनकी बातों का विश्वास नहीं करेंगी। कपूरथला के गांव मुगार में रहने वाले गोबिंदर सिंह की मौत की खबर जैसे ही आज टीवी पर आई तो गोबिंदर के परिवार और समस्त गांव मुगार में शोक सी लहर दौड़ गई, जोकि चार साल पहले अपने पारिवारिक सदस्यों का भविष्य तलाशने के लिए इराक गया था। आज गोबिंदर के वापिस आने की आस लगाए बैठे उसके पारिवारिक सदस्यों को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उनका गोबिंदर अब उनके बीच कभी वापिस नहीं आएंगा। गोबिंदर के पारिवारिक सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि भले ही केंद्र सरकार गोङ्क्षबदर को जीवित वापिस नहीं ला सकी किंतु उसकी मृत देह भारत में वापिस लाई जाएं ताकि उसकी अंतिम क्रियाएं संपन हो सके। गुरबिंदर की मौत की खबर मिलने के बाद परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। मां और पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मां बेटे की फोटो लेकर विलाप कर रही थी। गुरबिंदर के पिता बलजिंदर सिंह का कहना था के सरकार इन लोगों की मौत की खबर छुपा कर परिजनों को धोखा देती रही। लाडलों की मौत से ज्यादा सरकार के झूठ ने रुलाया।
होशियारपुर के गांव रामकलोनी कैंप के रहने वाले कमलजीत सिंह की माता संतोष कुमारी ने कहा है कि पूर्व जरनल वीके सिंह के इराक दौरे से उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनके बच्चों के बारे में कोई अच्छी खबर मिलेगी, लेकिन सारी आशाएं धरी की धरी रह गई। बेटे कमलजीत के इंतज़ार में आँखे बिछाए रहर मां की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बूढ़ी मां रोते हुए बोल रही है की किसी मंत्री ने उन की एक नहीं सुनी। हमारे बच्चों को मारने वालों को भी मौत मिलनी चाहिए।
जालंधर के गांव डंडे में रहने वाले बलवंत राय के पुत्र राकेश कुमार ने सहमें हुए बताया कि उसके पापा रोजी-रोटी की तलाश में 2011 में विदेश गए थे और आखिरी बार 15 जून 2014 को उसकी उनसे बात हुई थी। बलवंत राय की मौत की खबर पाकर समस्त इलाके में शोक सी लहर है। जालंधर के ही सुरजीत कुमार मेनका भी इस हादसे में मारे गए लोगों में शामिल है। सुरजीत की पत्नी ने कहा, मेरे पति 2013 में इराक गए थे और उनका 2014 में अपहरण हो गया था। मेरी सरकार से कोई मांग नहीं है। मेेरा एक छोटा बच्चा है और मेरे पास कोई सहारा नहीं है। पता नहीं जीवन कैसे कटेगा।
जबकि सीमावर्ती जिले अमृतसर के गांव मानावाल के नौजवान रंजीत सिंह पुत्र बलविंद्र सिंह इस हादसे में शामिल है। सोशल मीडिया और टीवी पर इराक में मारे गए पंजाबी मृतक युवकों की लिस्ट में उसका नाम भी शामिल था। समस्त गांव में दुख की लहर व्याप्त है। तहसील अजनाला के अंतर्गत पड़ते गांव संगुआना के इराक गए निशान सिंह के परिवार के सदस्य उसकी मौत से अंजान थे। निशान सिंह के घर उसके माता-पिता और भाई रहते है। मां बीमार होने के कारण चारपाई थामे है। निशान के भाई सरवन सिंह को आज सुबह किसी नजदीकी रिश्तेदार का फोन आया कि उसके भाई की मौत की पुष्टि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने की है। मां बीमार होने के कारण घर में एक दूसरे को दबी जुबां से ही बताया गया है।
सरवन सिंह ने यह भी बताया कि अक्तूबर 2013 को उसका भाई एजेंटों द्वारा इराक गया था और 11 जून 2014 को आईएसआई द्वारा उसे अगवा कर लिया गया। इस पश्चात उसकी लगातार फोन से बातचीत होती रही और आखिरी बार उन्होंने 21जून 2014 को बात हुई थी। बहरहाल अब अन्य के साथ सभी की आखिरी उम्मीदें टूट चुकी है और पंजाब में मातम छाया है। मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इन भारतीयों के शव विशेष विमान से पहले अमृतसर लाए जाएंगे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस खबर को हृदय विदारक बताया। उन्होंने इन लोगों की मौत पर दुख जताया और उनके परिजनों के प्रति संवेदना जताई है।
– सुनीलराय कामरेड