लुधियाना- अमृतसर : भारत के प्रसिद्ध दंगल स्टार जसकंवर गिल तुर्की में हुए विश्व रेसलिंग टूर्नामेंट में अपना अंतरराष्ट्रीय खेल जीवन की शुरूआत करने से पहले ही वंचित हो गए। भारतीय पहलवान के वंचित हो जाने का कारण केवल यही था कि उसको मैट पर पटका बांधकर खेलने से मना कर दिया। उसके लंबे बालों के कारण कहा गया कि उसे युवतियों की तरह केश बांधकर खेलना होगा और जवाब में जसकरण ने धार्मिक सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रकार ऐसा करना उसके सिख धर्म के खिलाफ है।
पंजाब का होनहार गबरू पहलवान जसकंवर बीर सिंह गिल अंतरराष्ट्रीय फ्री स्टाइल कुश्ती में भारत का नेतृत्व कर सकता था, अगर वह अपना सिर पर बंधा पटका उतार देता। यह गिल का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मुकाबला था परंतु उसने सिख सिद्धांतों की खातिर अपने ख्वाबों की कुर्बानी देना ही मुनासिब समझा।
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पहलवान जसकंवर बीर सिंह पंजाब आम्र्स पुलिस का जवान है और राष्ट्रीय और इंटरवरिष्टी मुकाबलों में सोने का तगमा जीत चुका है। वह एशियन गोल्ड मैडलिस्ट विजेता पहलवान सलविंद्र सिंह का बेटा है। बीती 27-29 जुलाई के मध्य तुर्की के शहर इस्तांबुल में अंबरेला आफ यूनाइटेड वल्र्ड रैसलिंग (यू डब्लू डब्लू ) के अंतर्गत यासर डोगू मैमोरियल र्टूनामेंट में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम का गिल भी हिस्सेदार था। सिख खिलाड़ी को अपने मुलक से बाहर धार्मिक पहचान के बिना खेलने के लिए कहने के इस मामले का भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी नोटिस लिया है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी अपनी सियासी हिस्स्ेदार शिरेामणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के टिवटर का जवाब देते हुए कहा कि तुर्की में भारतीय राजदूत से इस मामले की जानकारी मांगी गई है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक पहलवान अपने सिर पर सिर्फ वही वस्तु पहन सकता है, जो विरोधी खिलाड़ी को नुकसान ना पहुंचांए, यह शायद पहली बार हुआ है कि किसी केशधारी सिख अंतरराष्ट्रीय कुश्ती मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए दाखिल हुआ हो। भारत के प्रमुख जगमिंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 1973 में अब तक का पहला मामला है,जब किसी को पटके के कारण खेेलने से रोक दिया हो। हालांकि पिछले वर्ष कनाडा में एक सिख पहलवान को केशों समेत खेलने की इजाजत दी गई थी। उन्होंने कहा कि तुर्की में हुए मुकाबले के नियम विश्व कुश्ती फैडरेशन के नियमों से अलग नहीं, परंतु जसकंवर बीर सिंह को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
– रीना अरोड़ा