फरीदकोट में स्थिति तनावपूर्ण और माछीवाड़ा में भी किसानों ने सडक़ों पर फेंका दूध - Punjab Kesari
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फरीदकोट में स्थिति तनावपूर्ण और माछीवाड़ा में भी किसानों ने सडक़ों पर फेंका दूध

पंजाब : मोदी सरकार के वक्त पंजाब के किसान बड़े संघर्ष की ओर अग्रसर, शहरों में रोकी दूध,

लुधियाना-फरीदकोट : मोदी सरकार के 4 साल पूरा होते ही देशभर के किसानों द्वारा सबसे बड़ा संघर्ष छिड़ गया है और यह हड़ताल 10 दिन चलने के आसार है। इस संघर्ष में देशभर के करीब 110 किसान संगठन समर्थन में है और पंजाब की आधा दर्जन से अधिक किसान जत्थेबंदियां आंदोलन में कूद चुकी है। किसानों ने ऐलान किया है कि बढ़ती महंगाई और बढ़ते डीजल के दामों के बीच उनके मेहनताना का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा और किसान मरने की नौबत पर है।

संघर्षशील किसान संगठन कर्ज मुक्ति के साथ-साथ डा. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करवाने की मांग कर रहे है। इसी कारण देश भर के अलग अलग हिस्सों में किसानों ने फल सब्जियां शहर में आने से रोका है। फरीदकोट में किसान जत्थेबंदियों की तरफ से शहर के अलग अलग हिस्सों में नाके लगा कर फल और सब्जियों वाली गाडिय़ों को रोका गया और मौके पर ही महंगे फल सब्जियों को तारकोल की धूल-मिटटी भरी सडक़ों पर बिखेर दिया और कई गाड़ी वालो को गांवों में वापिस भेज दिया। वही दुध की सप्लाई भी पूर्ण तौर पर बन्द रहे। इसी तकरार को लेकर आज किसानों और आढतीयो में तनाव पैदा हो गया है और स्तिथि काफी तनावपूर्ण हो गई है ओर किसान और आढ़ती एक दूसरे को ललकारते नजर आए। वही समय की नजाकत को समझते है मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

उधर लुधियाना के पास माछीवाड़ा में कई किसानों ने दूध ले जा रही गाडिय़ों को जबरदस्ती रोककर अपना रोष प्रदर्शन किया और दूध के भरे ड्रमों और कैनियेंा को सडक़ों पर उलटा दिया। इस दौरान किसान जत्थेबंदियों के प्रधान बिंदर गोलेवाला ने कहा कि किसानों को आने वाले मुश्किलो को लेकर यह 10 दिन की हड़ताल की गई है और कोई भी सब्जी फल इत्यादि शहर में नही दी जाएंगी ।

वही किसानों के प्रदर्शन से सब्जी की फसल की काश्त करने बाला छोटे किसान मुसीबत में पड़ गए है और फरीदकोट के गाँव घुघी आणा के किसान ने बताया कि उसके पांच बच्चे है और पांचो ही अनपढ़ है और उसका पूरा परिवार इस सब्जी की फसल पर ही निर्भर है और अब उसकी फसल सडक़ पर बिखेर दी है अब वह मरे नही तो क्या करे ओर आढ़ती भी काफी नाराज नजर आए और उन्होने कहा कि किसानों का बन्द जरूर था पर वह यह था कि गांवों की सब्जियो को शहर में नही आने दिया जाएगा पर यहां पर किसान धका कर रहे है और उनकी सब्जियों को बाहर फेंका जा रहा है।

– सुनीलराय कामरेड

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