लुधियाना-अमृतसर : भारतीय सेना की ओर से जून 1984 में ब्लू स्टार अप्रेशन के दौरान इतिहासिक सिख रेफरेंस लाईब्रेरी के कब्जे में लिए गए समस्त इतिहासिक दस्तावेज और हस्तलिखित श्री गुरूग्रंथ साहिब जी व अन्य अनमोल दरोहर और साहित्य को वापिस करने के मामले के बाद शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) में पैदा हुई हलचल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
एसजीपीसी के मुख्य सचिव डा रूप सिंह की ओर से एसजीपीसी के मौजूदा व पूर्व अधिकारियों के साथ गुरुवार को बैठक करने के बाद शुक्रवार को एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी अलग अलग अधिकारियों के साथ बातचीत करके मुददे को समझने का प्रयास किया।
गोंबिंद सिंह लोंगोवाल ने दोहराया है कि एसजीपीसी की ओर से सारे मामले की जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के अधिकारियों ने अभी तक अपने रिकार्ड की जो जांच की है उस के अनुसार एसजीपीसी का बहुत सारा बहुमूल्य साहित्यक खजाना अभी तक सरकार की ओर से एसजीपीसी को वापिस नहीं किया गया है। यह खजाना सिख कौम की अमानत है । इसलिए यह खजाना हर हालत में कौम को वापिस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वापिस आए खजाने के संबंध में की जाने वाली जांच के दौरान अगर कोई दोषी पाया गया तो वह किसी भी कीमत पर बख्शा नही जाएगा। मीडिया एक हिस्सा की ओर से जो तथ्य पेश किए गए है अगर इस में भी कोई तथ्य गलत साबित होते है तो एसजीपीसी के ओर से उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि यह मामला बेहद संजीदा है जिस की जांच के लिए जल्दी ही एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी।
लोगोवाल ने एसजीपीसी के अधिकारियों के साथ जा कर सिख रेफरेंस लाईब्रेरी की कार्यप्रणाली को भी देखा और जानकारियां हासिल की। लोगोंवाल ने इस दौरान लाईब्रेरी में मौजूद श्री गुरु ग्रंथ साहिब के हस्त लिखित स्वरूपों के भी दर्शन किए। इस अवसर पर उनके साथ एसजीपीसी के मुख्य सचिव डा रूप सिंह , महिंदर सिंह आहली, मंजीत सिंह चीमां बाठ, बलविंदर सिंह जौड़ासिंघा, सुखमिंदर सिंह , सिख इतिहास रिसर्च बोर्ड की इंचार्ज डा अमरजीत कौर, लाईब्रेरियन बगीचा सिंह व दर्शन सिंह आदि भी मौजूद थे।
स्मरण रहे कि इसी मुददे को लेकर कुछ दिन पहले कुछ अखबारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में चलते केंद्र सरकार द्वारा लाइब्रेरी का समूह सरमाया वापिस किए जाने की बात उठी थी। इसी बीच शिरोमणि कमेटी से जुड़े कुछ लोगों ने रेफरेंस लाइब्रेरी से संबंधित श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का एक पावन स्वरूप विदेश में बेचे जाने की आवाजें उठी थी। जिसके बाद सिख जगत में एसजीपीसी के प्रति काफी रोष पनपा हुआ है।
– सुनीलराय कामरेड