लुधियाना-अमृतसर : सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब की दर्शनी डियोड़ी के पुरातन किवाड़ (दरवाजे) जिन्हें सवा 8 साल पहले मरम्मत के लिए उतार लिए गए थे, के स्थान पर आज लंबे इंतजार के बाद उन्हें डिजाइन और आकार में कारसेवा भूरी वालों द्वारा काली टहली की लकड़ से चांदी और समुद्र की सिप्पी की मीनाकारी द्वारा तैयार करवाएं नए दरवाजे आज दर्शनी डियोड़ी में खालसाई जयकारों की गूंज के दौरान धार्मिक शख्सियतों द्वारा स्थापित किया गया।
इस अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिबान जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, श्री हरिमंदिर साहिब के सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह, मुख्य ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी रघुवीर सिंह, शिरोमणि कमेटी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल, ज्ञानी जगतार सिंह, मुख्य गं्रथी संत बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले, मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह, भाई राम सिंह प्रबंधक जसविंद्र सिंह दीनपुर समेत अन्य सिंह साहिबान और संत महापुरूष उपस्थित थे।
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इस अवसर पर एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने कहा कि इस के पुराने उतारे गए दरवाजे संगत के दर्शनों के लिए संभाल कर रखे जाएंगे। जबकि पहले चर्चा थी कि इन दारवाजों को एसजीपीसी सोमनाथ के मंदिर भेजेगी। परंतु अब इन करीब 200 वर्ष पुराने दरवाजों को एसजीपीसी शीशे के फ्रेम में सभाल संगत के दर्शनों के लिए रखेगी।
कार सेवा वाले बाबा कश्मीर सिंह भूरीवालों की ओर से इस की कारसेवा की गई है। दरवाजे स्थापित करने के समय हरिमंदिर साहिब के मुख्यग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने अरदास की। इस से पहले श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष एक गुरमति कार्यक्रम पेश किया गया। हरिमंदिर साहिब के हजूरी रागियों की ओर से गुरबाणी कीर्तन किया गया।
एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि यह सुंदर दरवाजों की सेवा बाबा कश्मीर सिंह भूरी वालों और बाबा सुखविंदर सिंह की ओर से निभाई गई है। उन्होंने कायक्रम में शामिल हुए संगत का धन्यावाद किया। इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह , मुख्य ग्रंथी हरिमंदिर साहिब ज्ञानी जगतार सिंह ने बाबा कश्मीर सिंह भूरी वालों की ओर से सिख कौम के लिए निभाई जाती सेवाओं की प्रशासा की और उनको सम्मानित किया गया।