शहादत को पंजाब वासियों ने किया सलाम : शहीद जगसीर का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार - Punjab Kesari
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शहादत को पंजाब वासियों ने किया सलाम : शहीद जगसीर का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

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लुधियाना-लोहगढ़ ठाकरां  : 2017 साल के अंतिम दिन राजौरी स्थित नौशएरां सेक्टर में पाकिस्तानी पिठुओं के फिदायीन हमले के दौरान मुंहतोड़ जवाब देते हुए जिला फिरोजपुर के गांव लोहगढ़ ठाकरां के शहीद होने वाले सेना के 32 वर्षीय जवान जगसीर सिंह का तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह जब गांव की दहलीज लांघकर शमशान भूमि पहुंची तो समस्त वातावरण शहीद के सम्मान में बुलंद नारों से गूंज उठा। गांव के युवाओं ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के विरूद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाएं वही जगसीर को भारत मां का सच्चा सपूत कहते हुए सम्मानित भी किया।

जीरा के साथ लगते गांव लोहगढ़ में पिछले 2 दिनों से शोकविहुल वातावारण व्याप्त था। आसपास के दर्जनों गांवों के घरों में चूल्हें तक नहीं जले वही गांववासी अपनी मातृभूमि पर पले-बढ़े हुए जगसीर की शहादत पर गर्व करते हुए वर्तमान पीढ़ी और बच्चों को उसके ही किस्से सुनाते दिखे। 19 पंजाब रेजीमेंट के जवान जगसीर सिंह की मृत देह सोमवार को ही सेना द्वारा हेलीकैप्टर के जरिए जम्मू से फिरोजपुर लाई गई थी परंतु आस्टे्रलिया से फलाइट धुंध के कारण देरी के बीच बड़ी बहन पवनदीप कौर के ना पहुंचने के कारण आज मंगलवार की सुबह शहीद की देह को पूरे सम्मान के साथ तिरंगे में लपेटकर लाया गया। जैसे ही शहीद जगसीर की देह गांव में पहुंची तो समस्त इलाके में भारी शोक सी लहर दौड़ गई और बड़ी संख्या में लोगों ने सजल आंखों के साथ जगसीर को अंतिम विदाई दी।

इस अवसर पर सेना की टुकड़ी ने शहीद को सलामी दी और प्रशासनिक अधिकारी, सेना और पुलिस अधिकारियों समेत बीएसएफ के अतिरिक्त अलग-अलग सियासी पार्टियों के नेताओं ने शहीद की देह पर फूल मालाएं अॢपत की। शहीद जगसीर 2004 में भारतीय सेना में भर्ती हुआ था और 32 साल की आयु में देश के लिए शहादत का जाम पी गया। वह अपने पीछे माता गुरमीत कौर, 66 वर्षीय पिता अमरजीत सिंह, बीवी महिंद्र पाल कौर और दूसरी कक्षा में पढऩे वाली 5 वर्षीय बड़ी बेटी निगमजीत कौर और 3 वर्षीय पहली कक्षा में पढऩे वाली दूसरी बच्ची गुरनीत कौर के अलावा पौने दो साल का एक बेटा जगदीश सिंह छोड़ गया।

शहीद की बहन पवनदीप कौर अपने छोटे भाई जसबीर को याद करके बार-बार बिलख रही थी और हर किसी से यही पूछती थी कि मैं अब अपने वीरे की राखी को किसी बाधंूगी? अनुतीरत सवाल-जवाब के बीच दूर कोने में खड़ा शहीद का भाई शून्य में देखता है और अपने भाई के बच्चों को गोद में उठाएं एक तरफ ले जाता है। शहीद के पिता अमरजीत सिंह ने कहा सुबकते हुए कहा कि उसे आज गर्व है कि उसके बेटे ने मातृभूमि की रक्षा की खातिर शहादत का जाम पिया है। उसने शहादत और गौरवान्वित क्षणों के बीच सरकार से शिकवा करते हुए यह भी पूछा कि श्रीनगर में हर रोज भारत मां के लाल शहीद हो रहे है। शहादत देने वाले सभी जवान गरीब परिवारों से ही संबंधित होते है, किसी अमीर घर के बच्चें क्यों शहीद नहीं होते । उन्होने आरोप भी लगाया कि सरकार जवानों की शहादत के बाद उनके परिवार वालों की सुध तक नहीं लेती। उन्होंने मांग की कि सरकार को चाहिए कि आरपार की इस लड़ाई में शहादत का सिलसिला खत्म होना चाहिए।

इस अवसर पर शहीद के परिवार के साथ दुख बांटते हुए डिप्टी कमीश्रर फिरोजपुर श्री रामवीर सिंह ने बड़े सजल नेत्रों से कहा कि प्रशासन दुख की घड़ी में परिवार के साथ है। उन्हें जगसीर की श्हादत और बहादुरी पर पूरे देश का मान बताया। इस अवसर पर बीएसएफ के डीआईजी श्री बीएस राजपुरोहित, जिला पुलिस प्रमुख स. भूपिंद्र सिंह सिद्धू, पूर्व मंत्री जत्थेदार इंद्रजीत सिंह जीरा, पंजाब भाजपा पूर्व प्रधान श्री कमल शर्मा और पंजाब कांग्रेस आगु स. जसमेल सिंह लाडी, स. हरजीत सिंह संधू समेत कई प्रशासनिक अधिकारी, धार्मिक आगु और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे, जिन्होंने अपने-अपने संगठनों की तरफ से शहीद को श्रद्धा के फू्रल अर्पित किए।

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– सुनीलराय कामरेड

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