लुधियाना-जालंधर : पंजाबी मां-बोली को लेकर गायक गुरदास मान का समर्थन करने के बाद विरोधियों के निशाने पर आए पंजाबी सिंगर के.एस मक्खन ने दुखी मन से सिख धर्म का त्याग करते हुए स्वयं को उनसे अलग कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लाइव होकर सिखी स्वरूप का परित्याग किया और अपने पांचों काकरों (धार्मिक चिन्हों) को गुरूद्वारा साहिब में जाकर गुरू चरणों के आगे भेंट किए।
जबकि दूसरी तरफ शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भाई लोंगोवाल ने के एस मक्खन नामक शख्स द्वारा अपने काकरे उतारकर इसे सोशल मीडिया पर प्रचारित किए जाने को अफसोस जनक कहा। उन्होंने कहा कि यह सब मक्खन की छोटी मानसिकता का दिखावा है और नीजि फायदे के खातिर उसने सिखों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाई है।
भाई लोंगोवाल ने यह भी कहा कि सिख धर्म में अडिंग रहने वाले प्राचीन सिखों ने अपनी शहादतें देकर सिख धर्म को नहीं छोड़ा था। इतिहास इसका गवाह है कि जुल्म और सितम की अंधेरी में कभी भी सिख आगु नही डोले। उन्होंने यह भी कहा कि मक्खन ने जो भी किया, उसे ऐसी हरकत करने से पहले इतिहास की तरफ देखना चाहिए था।
इधर सोशल मीडिया पर के एस मक्खन ने काकारों को त्यागने के दौरान कहा कि अगर मैं सिख धर्म का फायदा नहीं कर सकता तो मैं नुकसान करने का अधिकारी भी नही हूं। हालांकि जब के.एस मक्खन के साथ बातचीत करने की कोशिश हुई तो वह बेहद भावुक नजर आएं। उन्होंने कहा कि मैं इस मुददे पर अधिक बातचीत करने की अवस्था में नहीं हूं और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया जाएं।
उनका कहना था कि कुछ लोग उनके नाम के साथ धार्मिक विवाद जोड़ रहे हैं। उनका नाम लेकर धर्म के नाम पर सियासत हो रही है। उन्होंने लाइव होकर कहा कि वह नहीं चाहते कि उनकी वजह से कोई धार्मिक विवाद शुरू हो, इसीलिए वह अपना सिख धर्म छोड़ रहे हैं। नकोदर के रहने वाले केएस मक्खन वर्ष 2014 में बसपा की टिकट पर आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
विवादों में आए गायक केएस मक्खन अब सवालों से बच रहे हैं। उन्होंने सिख धर्म त्यागने के बाद दोपहर बाद तीन बजे प्रेस कांफ्रेंस रखी थी। हालांकि बाद में वह इससे कन्नी काट गए। उनके स्थान पर रहीमपुर से बाबा प्रगट नाथ ने पत्रकारों से कहा कि 12 तारीख को वह रहीमपुर से शोभायात्रा अमृतसर लेकर जाएंगे। अमृतसर में भगवान वाल्मीकि धाम पर पहुंचने के बाद गायक केस मक्खन शोभायात्रा में शिरकत करेंगे। 13 अक्टूबर को भगवान वाल्मीकि प्रकट उत्सव के दौरान भी केएस मक्खन के साथ ही रहेंगे।
पिछले दिनों सिंगर गुरदास मान की ओर से हिंदी के पक्ष में दिए गए बयान का मक्खन ने समर्थन किया था। इसी के बाद गुरदास मान और केएस मक्खन दोनों पंजाबी समर्थकों और कई राजनेताओं के निशाने पर आ गए हैं।
गायक मक्खन नशा तस्करी के एक मामले में जेल भी जा चुके हैं। जालंधर के नकोदर थाने में 1 अगस्त, 2006 को मक्खन के खिलाफ तस्करी का केस दर्ज हुआ था। उन पर कनाडा में ड्रग्स रैकेट चलाने का आरोप है। इस मामले में मक्खन को जेल भी जाना पड़ा था। पंजाब में ड्रग नेटवर्क, ब्लैकमनी की कहानी पर बनी फिल्म जुगनी हत्थ किसे न आउणी में हीरो की भूमिका भी मक्खन ने निभाई थी।
– सुनीलराय कामरेड