रोडरेज केस: सिद्धू को SC से बड़ी राहत, नहीं जाना होगा जेल, हाईकोर्ट का फैसला पलटा - Punjab Kesari
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रोडरेज केस: सिद्धू को SC से बड़ी राहत, नहीं जाना होगा जेल, हाईकोर्ट का फैसला पलटा

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नई दिल्ली : 30 साल पुराने 1988 के पटियाला में शेरनाला गेट चौराहे के पास हुए रोडरेज के मामले में पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को·सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को मामूली मारपीट का आरोपी पाया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक सिद्धू को जेल नहीं जाना होगा और उनपर सिर्फ एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

सिद्धू ने याचिका में कहा था कि वह निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 24 अप्रैल तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सिद्धू की तरफ से कहा गया कि इस मामले में कोई भी गवाह खुद से सामने नहीं आया, जिन भी गवाहों के बयान दर्ज किए गए है उनको पुलिस सामने लाई थी। गवाहों के बयान विरोधाभासी है, जो भी मुख्य गवाह है उनके बयान एक दूसरे से अलग है।

क्या है  मामला
अभियोजन के अनुसार सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरनवाला गेट चौरोह के पास सड़क के बीच में कथित रुप से खड़ी जिप्सी में थे। उसी समय गुरनाम सिंह और दो अन्य पैसे निकालने के लिए मारुति कार से बैंक जा रहे थे। गुरनाम ने सिद्धू और संधू से जिप्सी हटाने को कहा, इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई. सिद्धू ने सिंह को बुरी तरह पीटा और अस्पताल में उनकी मौत हो गई। इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके हैं सिद्धू
साल 2006 में हाईकोर्ट ने बेशक से सिद्धू और एक अन्य आरोपी रुपिंदर सिंह संधू को 3 साल की सजा सुनाई हो, लेकिन 1999 में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद 2007 में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों को दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही सिद्धू अमृतसर से विधानसभा चुनाव लड़ पाए थे।

पंजाब सरकार ने की थी सजा बरकरार रखने की मांग
पंजाब सरकार की ओर से उपस्थित वकील सनराम सिंह सरों ने 30 साल पुराने मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष कहा कि साक्ष्य के अनुसार सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी।सरकार ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं, बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी। इसने कहा कि इस बारे में एक भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि मौत की वजह दिल का दौरा था, न कि ब्रेन हैमरेज। पंजाब सरकार के वकील ने कहा, ‘निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था। आरोपी ए 1 ( नवजोत सिंह सिद्धू ) ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उसकी मौत हो गई।’

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