लुधियाना : पंजाब में पिछले साढ़े तीन साल के दौरान सिख पावन ग्रंथों की बेअदबी के मुददे पर शिरोमणि अकाली दल का अंदरूनी संकट और गहरा हो चुका है और यह आने वाले कुछ ही दिनों मेें दो फाड़ हाने की कगार पर है। अकाली दल के कई टकसाली बागी वरिष्ठ आगुओं ने शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की प्रधानगी के पश्चात अब प्रकाश सिंह बादल के संरक्षक को भी नांमजूर करना शुरू कर दिया है। दल के महासचिव सुखदेव सिंह ढींढसा ने बादल परिवार द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों को बेरंग मोड़ते हुए सुलह करने से साफ इंकार कर दिया है।
दल के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक ढींढसा ने बादल द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों को सीधे तौर पर इशारा किया हैकि वह बादल द्वारा अलग-थलग रखने की नीतियों को अब अधिक देर तक झेल नहीं सकते। सूत्रों का यह भी दावा है कि बागी टकसाली नेताओं का रिमोट कंट्रोल स. ढींढसा के हाथों में आ चुका है।
पंजाब के माझा स्थित इलाके के 3 वरिष्ठ टकसाली नेताओं ने जिनमें रंजीत सिंह ब्रहमपुरा, रत्न सिंह अजनाला और सेवा सिंह सेखवां ने रविवार को पटियाला में होने वाली बादलों की रैली में जाने से स्पष्ट इंकार कर दिया है। तीनों नेताओं ने कुछ दिन पहले भी बगावत के संकेत दिए थे परंतु प्रैस कांफ्रेंस करने से पहले ही बड़ बादल साहब को पता चल गया था कि उक्त नेताओं ने पटियाला रैली में शामिल ना होने की घोषणा करनी है।
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टकसाली नेताओं ने मीडिया से रूबरू होते हुए अमृतसर में कहा भी था कि बादलों ने गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और बहिबल कलां गोलीकांड समेत सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी देने के आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि बादलों ने शहीदों की पार्टी को बड़ी चोट पहुंचाई है और उन्हें बदनाम भी किया है।
सुखदेव सिंह ढींढसा के त्यागपत्र के बाद टकसाली नेताओं ने चाहे अपने पत्ते नहीं खोले परंतु संकट बरकरार है। पहली कतार के नेता और सिख संगठनों के प्रतिनिधियों को मनाने के लिए प्रकाश सिंह बादल स्वयं गंाव-गांव की दहलीज पार करके आम कार्यकर्ताओं को मनाने का काम कर रहे है।
प्रकाश सिंह बादल पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री बन चुके है और जिनकी पंजाब की सियासत में बड़ी तूती बोलती है। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव का रोना रोते हुए कार्यकर्ताओं के सामने यहां तक कह दिया कि उन्हें ऐसे दिन देखने पड़ेंगे, कभी सोचा नहीं था।
एक अन्य जानकारी के मुताबिक टकसाली आगु रत्न सिंह अजनाला ने पुन: बगावत के सुर बुलंद करते हुए सुखबीर सिंह बादल की प्रधानगी पर सवाल खड़े किए है और उनको अध्यक्ष पद से हटाने की मांग भी की है। कुल मिलाकर अकाली दल का बड़ा केडर दोनों बादलों और पूर्व केबिनेट मंत्री विक्रमजीत सिंह मजीठिया को अलग करने की चाहत रखता है। पटियाला रैली यह साबित करेंगी, आने वाला भविष्य सुखबीर सिंह बादल का होगा या नहीं। बहरहाल तलवंडी साबो समेत कई इलाकों से बादल के विरूद्ध काली झंडिया दिखाकर जोरदार रोष प्रदर्शन जारी है।