पंजाब : भ्रष्टाचार के मामले में रवि सिद्धू को 7 साल के लिए सलाखों की कैद, 75 लाख रूपए हुआ जुर्माना - Punjab Kesari
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पंजाब : भ्रष्टाचार के मामले में रवि सिद्धू को 7 साल के लिए सलाखों की कैद, 75 लाख रूपए हुआ जुर्माना

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लुधियाना-एसएस नगर : मोहाली की अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पंजाब सर्विस पब्लिक कमीशन के पूर्व चेयरमैन रविंद्रपाल सिंह सिद्धू उर्फ रवि को सात साल कैद के साथ-साथ 75 लाख रूपए जुर्माने की सजा सुनाई है। रवि सिद्धू को मानयोग एडीशनल जिला सेशन जज मोनिका गोयल ने लगभग डेढ़ दशक पुराने मामले में अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन रविंद्रपाल सिंह सिद्धू उर्फ रवि सिद्धू को पिछले दिनों गस्टिड अधिकारियों को पैसे लेकर नौकरी देने के मामले में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत के आदेशों उपरांत सिद्धू को रोपड़ जेल भेज दिया गया है। अदालत के इस अहम फैसले में सजा घोषित किए जाने के बाद 15 साल पुराने उस केस का निपटारा हो गया। स्मरण रहे कि इसी मामले में मुख्य आरोपी रवि सिद्धू वर्तमान समय में जमानत पर चल रहा था और अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद तुरंत हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। इस मामले में नामजद 5 आरोपी मुलाजिम रणधीर सिंह गिल, प्रेम सागर, परमजीत सिंह, सुरिंदर कौर व गुरदीप सिंह को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

सिद्धू पर 2002 में नौकरी लगवाने के लिए मोटी रकम लेने, हवाला के जरिए राशि विदेश भेजने व जाली वसीयत बनाने के आरोप सिद्ध हुआ। विजिलेंस के अनुसार सिद्धू ने पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन का चेयरमैन रहते हुए अपने साथी आरोपियों की मिलीभगत से आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर भर्ती के बदले मोटी रकम ली थी। अमृतपाल सिंह से गुरजीत सिंह नाम के व्यक्ति को डीएसपी भर्ती करवाने व बिक्रमजीत सिंह को डीएसपी भर्ती करवाने के बदले लाखों रुपये की राशि ली गई। उसने 1.36 करोड़ रुपये की राशि हवाला के जरिए साथी आरोपियों की मदद से विदेश भेजी। अवतार सिंह सेखों की मौत के बाद उसकी हिमाचल स्थित प्रॉपर्टी की जाली वसीयत बनाकर इस्तेमाल किया। विजिलेंस ने कुल 8,30,40,500 रुपये बरामद कर थाना मोहाली में 25 मार्च 2002 में मामला दर्ज किया था।

अढ़ाई दर्जन लोगों से पैसे लेकर दी नौकरी और मनचाही पदवी, पांच लाख रिश्वत लेते पकड़ा गया था आरोपी
रविंदर पाल सिंह सिद्धू पर पैसे लेकर नौकरी देने के मामले में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने साल 2002 के मार्च महीने की 25 तारीख को केस दर्ज किया था। एक्साइज एंड टैक्सेशन इंस्पेक्टर भूपजीत सिंह से 5 लाख रुपये रिश्वत ली और विजिलेंस ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ा था। विजिलेंस ने जब आगे जांच शुरू की तो उनके लॉकरों से 8 करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी निकली। विजिलेंस ने खुलासा किया था कि जब उन्होंने रवि सिद्धू के भाई रीतेंद्र सिंह, भाभी अजिंदर कौर, माता प्रितपाल कौर, आयोग के सेक्रेटरी प्रितपाल सिंह, पीएस सोढी, परमजीत सिंह पम्मी, रंधीर सिंह धीरा, जगमान सिंह, शमशेर सिंह और प्रेम सागर को गिरफ्तार किया, तो इनमें उन्होंने बताया कि परीक्षा पेपर पहले से ही उन लोगों तक पहुंच जाते थे, जिन्होंने पीसीएस या डीएसपी या कोई भी और पद पाने के लिए तय फीस दी होती थी।

हाईकोर्ट ने रद कर दी थी नियुक्तियां

हाईकोर्ट ने पीसीएस समेत कई पदों पर हुई नियुक्तियों को रद कर दिया। विजिलेंस ब्यूरो ने 32 ऐसे अधिकारियों की सूची जारी की थी, जिन्होंने पैसे देकर नौकरी हासिल की थी। इनमें से आठ पीसीएस (ज्यूडिशियल) व 21 अन्य पीसीएस थे।

– सुनीलराय कामरेड

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