दर्द-ए-बयां : उम्मीदें हुई मिटटी में दफन - Punjab Kesari
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दर्द-ए-बयां : उम्मीदें हुई मिटटी में दफन

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लुधियाना : इराक के मोसुल शहर में चार सालपहले मारे जा चुके 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि के बाद पंजाब में मृतकों के वारिसों में सालों से बंधी आस टूटते ही उनके परिजन, यार-दोस्त और गांववासी गहरे सदमे में है। मृतकों से संबंधित नजदीकी रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। वही दुख सांझा करने के लिए हर आने वाले प्रशासनिक अधिकारी और सियासी लोगों से उनकी एक हर गुहार है कि उनके भाई-बेटे की अस्थियां ला दें ताकि वे अपने धर्म मुताबिक अंतिम संस्कार करके रीति-रिवाज निभा सकें। संगरूर स्थित धूरी के प्रीतपाल शर्मा जो 2011 में रोजी-रोटी की तलाश में इराक गए थे, उसके पारिवारिक सदस्य अनहोनी की खबर सुनकर सन्न है और वे गहरे सदमें में डूबे है।

सनातन धर्मसभा आश्रम के नजदीक रहते पीडि़त परिवार से हमदर्दी प्रकट करने के लिए श्री अमरेश्वर सिंह एसडीएम धुरी और विधायक दलबीर सिंह गोल्डी के पिता, उनके घर पहुंचे तो मृतक प्रीतपाल शर्मा की पत्नी राजरानी ने बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें कई बार भरोसा दिया था कि सभी भारतीय सकुशल है और वे विदेश मंत्रालय के संपर्क में है। मृतक की बीवी ने रोते हुए बताया कि उन्हें यहां तक कहा गया था कि 2015 में उसके पति को काम करते भी देखा गया था और 2016 में भी उन्हें समस्त के जीवित होने का भरोसा दिया जा रहा था परंतु विदेश मंत्रालय ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। मृतकों के संबंधियों ने केंद्र सरकार के प्रति गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि हमें अंधेरे में क्यों रखा गया? प्रीतपाल शर्मा के बेटे नीरज ने कहा कि पिछले 4 सालों से बताया जा रहा था कि उसके पिता जीवित है जबकि भारत सरकार उन्हें इतने सालों से गलत सूचनाएं क्यों दे रही थी? यह उनकी समझ से परे है।

उधर अमृतसर के इलाका मजीठा में रहने वाले सोनू पुत्र कश्मीर सिंह गांव चविंडा देवी के पारिवारिक सदस्यों में माता जीतो, पत्नी सीमा, भाई हीरा लाल और उसके बच्चे 10 वर्षीय करण, 7 वर्षीय अर्जुन का रो-रोकर बुरा हाल है और माता जीतो अपने मृतक नौजवान पुत्र सोनू का नाम ले-लेकर रो रही है। रब्ब के आगे उसने अरदास करते हुए कहा कि जिस तरह मेरे बेटे के साथ गुजरा है, ऐसा दुश्मन के साथ भी ना हो। उन्होंने कहा कि ट्रैवलिंग एजेंटों ने हमारे बच्चों को 2014 में दुबई भेजने के नाम पर उनसे रकमें बटोरी थी परंतु दुबई भेजने की बजाए उन्हें इराक में ले जाकर दफना दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी उनके साथ बहुत बड़ा धोखा दिया है।

आदमपुर के नजदीक रहने वाले 30 वर्षीय सुरजीत पुत्र हंसराज की मौत की खबर कहर बनकर टूटी है। सुरजीत के साले मंजीत सिंह ने बताया कि उसका जीजा 2013 में इराक गया था और 8-10 महीने काम भी किया और आखिरी बार 15 जून 2014 को फोन से बात हुई थी। जिसके पश्चात उन्हें मालूम हुआ कि आईएसआई के आतंकवादी उनका अपहरण करके किसी अज्ञात स्थान पर ले गए थे। पुत्र की मौत की खबर सुनकर बुजुर्ग मां हरबंस कौर और सुरजीत की पत्नी उषा रानी का रो-रोकर बुरा हाल है जबकि पहली कक्षा में पढऩे वाला 6 वर्षीय पुत्र जवीश हर आने-जाने वाले गैर शख्स को अजीब खामोशी के साथ देखता है और अपने बाप की तस्वीर को गोद में रखकर साफ करता है। पारिवारिक सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि उक्त एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो, ताकि भविष्य में किसी के साथ ऐसी अनहोनी ना हो। समस्त परिवार ने सरकार से मांग की कि एक बार उनके संबंधियों की मृत देह के अंतिम दर्शन करवा दिए जाएं।

– सुनीलराय कामरेड

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