कुलभूषण जाघव की पाकिस्तान से रिहाई की मांग को लेकर बैकगेयर में भारत भ्रमण पर निकला जुनूनी शख्स - Punjab Kesari
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कुलभूषण जाघव की पाकिस्तान से रिहाई की मांग को लेकर बैकगेयर में भारत भ्रमण पर निकला जुनूनी शख्स

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लुधियाना-अमृतसर : उलटी दुनिया की टेढी चाल को सही रास्ता दिखाने के लिए कभी-कभार उलटे काम करने ही पड़ते है, ऐसा मंतव दिल में पाले पुणे के रहने वाले बाशिंदे 42 वर्षीय संतोष राजे इंजीनियर ने पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा भारत-पाकिस्तान, बाघा- अटारी बार्डर पर तैनात सीमा सुरक्षाबलों के डयूटी पर जवानों की हथेलियों को भावपूर्ण चूमते हुए उन्हें ना केवल शाबाशी देते हुए सैलूट किया, बल्कि जमीं पर पड़ी मिटटी को सिर पर लगाकर सम्मान दिया। संतोष राजे का मंतव जान कर आश्चर्य चकित रह गए सरहदों के रखवाले। अटारी सरहद पर तिरंगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एजेंडा ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ भारत’ का नारा लेकर अटारी बार्डर पर पहुंचे इस युवक ने यात्रा का मकसद बताते हुए कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान बाज आए। पाकिस्तान के जेलों में बेकसूर बंद भारतीयों को रिहा किया जाए।

पुणे से जम्मू- कश्मीर तक की यात्रा पर दो बाइकरों के साथ कार में निकले संतोष राजे ने बताया कि रिवर्स गेयर में चलाने का उददेश्य लोगों को देशभक्ति के प्रति जागरूक करना है। कुछ वक्त पहले मुंबई-पुणे में हुई हिंसा को देखकर द्रवित होने उपरांत देश में सामाजिक एकजुटता का संदेश देने के लिए 10 जनवरी 2018 को वह अपने साथ आएं युवकों के टोले के साथ- साथ, जगह-जगह पर प्रेरणादायक पोस्टर भी लगाता है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय सैनिक कुलभूषण जाघव की रिहाई की मांग को लेकर उलटी कार चलाकर सडक़ पर उतरे इंजीनियर संतोष ने बताया कि जब उन्होंने 2000 कि.मी. दूर पुणे से जब अटारी बार्डर पर आने का उददेश्य पारिवारिक सदस्यों को बताया तो पहले परिवार वालों ने काफी विरोध किया।

परिवार के सदस्यों को मानना था कि तिरंगा गाड़ी पर लगाकर देशभक्ति के जनून में कहीं कोई अनहोनी घटना ना घट जाएं और सुनसान रास्तों में समाज और देश विरोध तत्व किसी भी घटना को अंजाम दे सकते है। परंतु जिद और दृढ़ इरादों और देशभक्ति के जुनून को समझते हुए आखिर उसकी बीवी संध्या और बच्चों ने इस वायदे के साथ विदाई दी कि वह हर रोज दिन में 2 बार अपने बेटा विनायक-बेटी वैश्णवी समेत मां-बाप से मोबाइल से कुशलश्रेम के साथ-साथ बातचीत किया करेंगे। जब संतोष से विस्तार से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पिता शिवदास का यही सपना था कि मेरा बेटा देश के लिए कुछ ऐसा करे कि लोग उसे पहचाने। मां मीरा हमेशा भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहती थी। मां कहती थी कि बेटा पाक अब नापाक हो गया है, उसके जुल्म लोगों को बताने के लिए कुछ अनूठा तरीका अपनाना होगा। मैंने मां की बात मान ली। ठान लिया कि पुणे से अटारी सरहद तक कार बैक गीयर में चलाऊंगा। करीब 2500 किलोमीटर की दूरी मैंने कैेसे तय कर ली मुझे खुद नहीं पता।

हालांकि जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा बार्डर तक सफर करने का निर्णय करने वाले संतोष राजे ने बताया कि शुरूआत में 200 कि.मी. का छोटा सा सफर जब उन्होंने सकुशलता से कर लिया तो आत्मविश्वास बढ़ा और आखिर चार महीने में अपने मंतव को पूरा करने के लिए 60 हजार रूपए खर्च करने के अनुमान के साथ वह निकल पड़ा, यह समस्त खर्च उसने स्वयं अपनी जेब से ही किया है। उसने ऐसे कार चलाने का मकसद बताते हुए कहा कि उसने गिनीज बुक ऑफ वलर्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान को सुधर जाने का आहवाहन है। संतोष राजे को उम्मीद है वह समय पर अपने दोस्त अजय पवार व अन्य की सहायता से पूरा कर लेंगा। उसके जिगरी यार रिवर्स गेयर गाड़ी के आगे बाइक पर सवार होकर चलते है ताकि किसी भी राहगिरि को मुश्किल ना हो।

– सुनीलराय कामरेड

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