लुधियाना-अमृतसर : संयुक्त अकाली दल बनाकर पंजाब की सियासत में दखलअंदाजी करने की मंशा रखने वाले हजारों की संख्या में इकटठे हुए सिखों ने दर्जनों जत्थेदारों की मौजूदगी के बीच पंजाब में एक बार फिर धर्मयुद्ध छेडऩे का राग अलापते हुए अमृतसर के नजदीक मानावाल में रखे सम्मेलन में 12 प्रस्तावों को यर्थात रूप देते हुए फतेह के दौरान प्रस्ताव पास किए। हालांकि सिख जत्थेदारों ने स्पष्ट किया कि हथियारों के बलबूते पर कही भी शांति बहाल नहीं की जा सकती।
पंजाब के लिए एक बार फिर अलग झंडा और अलग-अलग प्रकार की भारतीय करंसी पर महाराजा रंजीत सिंह, संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेदकर और सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा के रचियता मोहम्मद इकबाल (डॉ अल्लामा इकबाल) की तस्वीरें उकेरने की वकालत भी की है। इस सम्मेलन में यूनाइटेड अकाली दल के सिख नेता भाई परमजीत सिंह जिजयानी, वासन सिंह जफरवाल, बाबा चमकौर सिंह, जत्थेदार दविंद्र सिंह, जतिंद्र सिंह इस्डु, सतनाम सिंह मनावा और परशोतम सिंह फगुवाला शीर्ष नेताओं ने 12 प्रस्ताव पढ़ते हुए स्पष्ट किया कि सिख पंथ निश्चिय ही संसार में अपनी अग्रीम भूमिका निभाना चाहता है और देश की एकता और शांति कभी भी हथियारों के जोर के साथ कायम नहीं रखी जा सकती।
उन्होंने कहा कि आज भारी संख्या में यहां इकटठे हुए लोग भारत सरकार और उन सभी शक्तियों को गंभीरता के साथ सचेत करना चाहता है कि खालसा पंथ लावारिस नहींं, खालसा पंथ के वारिस और रखवाले श्री गुरू गोबिंद सिंह जी स्वयं है। उन्होंने कहा कि आज का महान इकटठ ऐलान करता है कि इस जंग को शांतमयी तरीके से अंजाम तक ले जाया जाएंगा और सभी भाईचारों में एकजुटता रखी जाएंगी। पंजाब की शांति के संबंध में उन्होंने वचनबद्धता भी दोहराई। सिखों की आजादी में संघर्ष का जिक्र करते हुए जत्थेदारों ने कहा कि 90 फीसदी कुर्बानियां सिखों ने दी थी और उन्हीं कुर्बानियों को मुख्य रखते हुए संविधान सभा और राष्ट्रीय नेताओं द्वारा आजादी के वक्त सिखों को उतरी भारत में विशेष स्थान देने के लिए लिखित वायदे किए ताकि सिख भी आजादी का अहसास कर सकें।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने पास 4 प्रमुख विभाग रखकर दूसरे अधिकार राज्यों को दें। पंजाब को विशेष अधिकार के साथ भारतीय झंडे के साथ राज्य में अपना ध्वज फहराने की इजाजत हो, जैसा कि अमेरिका में होता है। पंजाब सरकार का भी अपना ध्वज रखने की मांग की। उन्होंने कनार्टक सरकार द्वारा विधानसभा में अलग झंडे के प्रस्ताव के बारे में जिक्र किया। करंसी पर मोहम्मद इकबाल, डॉ अंबेदकर और महाराजा रंजीत सिंह के फोटोजनिक नोट छापे जाने का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि समस्त कौमें देश में अपनी सांझेदारी समझ सकें। उन्होंने धर्मयुद्ध को जारी रखते हुए लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों, सियासी पार्टियों के प्रमुखों और यूएनओ को पत्र लिखे जाने का भी जिक्र किया।
इस संबंध में डॉ भगवान सिंह के अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई जो यूनिर्वसिटियों और विद्वान पुरूषों के साथ सलाह-मशविरा करके 15 दिन में पंथ और पंजाब का केस तैयार करेंगी। 12 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी और आप नेता अरविंद केजरीवाल की रिहायशी स्थल तक रोष मार्च करके पत्र दिए जाने की भी घोषणा की गई। इस दौरान पंजाब सरकार से मांग की गई कि बादल परिवार के एकाअधिकार को खत्म करने के लिए शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनाव तुरंत करवाएं जाएं। उन्होंने पंथ द्वारा रदद किए गए बलात्कारी गुरमीत राम रहीम के शिष्यों और अकाल तख्त साहिब की आजाद हस्ती कायम रखने की वकालत की। धारा 25बी में संशोधन करके विदेशों में रह रहे सिखों की वापसी का रास्ता खोलने का मुददा भी उन्होंने उठाया। लुधियाना में पिछले 3 साल से भूख हड़ताल पर बैठे जत्थेदार सूरत सिंह खालसा की प्रमुख मांग- सजा पूरी कर चुके बंदी सिखों को रिहा करवाने का वचन निभाया। उन्होंने भाई जगतार सिंह हवारा, भाई बलवंत सिंह रज्जोवाना, भाई लाल सिंह, भाई नारायण सिंह चौड़ा, भाई दया सिंह लहौरिया, भाई परमजीत सिंह भयौरा और लखविंद्र सिंह समेत जगतार सिंह जगीजोल आदि समूह सिखों को भी तुरंत रिहा किए जाने की मांग रखी।
– सुनीलराय कामरेड
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