लुधियाना- श्री मुक्तसर साहिब : अकसर सियासत में कहा जाता है, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर। और आज की सियासत में कोई न तो किसी का स्थायी दोस्त होता है और न ही दुश्मन। ऐसा ही स्पष्ट प्रमाण पंजाब की सियासत में उस वक्त देखने को मिला, जब लंबे समय से बादल परिवार के धुर विरोधी रहे तेज-तर्रार आगु और पूर्व लोकसभा सदस्य जगमीत सिंह बराड़ आज श्री मुक्तसर साहिब में स्थित अपनी रिहायशी स्थल गांव चड़ेवान में एक प्रभावशाली समागम के दौरान शिरोमणि अकाली दल (बादल) में शामिल हो गए। उनको पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और पार्टी के महासचिव और पूर्व अकाली मंत्री विक्रमसिंह मजीठिया की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया।
इस अवसर पर समागम को प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल समेत अन्य अन्य आगुओं ने भी संबोधित किया और स. बराड़ का अकाली दल में शामिल होने पर पार्टी के लिए शुभ संकेत कहा। दिलचस्प बात यह है कि बराड़ ने उस वक्त अकाली दल का दामन थामा है, जब शिअद स्वयं बड़े सियासी संकट में घिरी हुई है।
यह भी चर्चा है कि बराड़ अकाली दल में शामिल होने का फैसला लेने से पहले आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल टकसाली की लीडरशिप के संपर्क में भी थे। करीब 40 साल से सियासत में सरगर्म जगमीत सिंह बराड़ ने फरीदकोट लोकसभा हलके से 1999 में सुखबीर सिंह बादल को हराकर जीत हासिल की थी।
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आज भव्य समागम समारोह के दौरान प्रकाश सिंह बादल ने इस मौके पर कहा कि जगमीत सिंह बराड़ आज के ‘हीरो’ है और अकाली दल के लिए आज का दिन सुनहरी ऐतिहासिक है, जब पंजाब की प्रसिद्ध सियासी हस्ती, सबसे बड़े प्रवक्ता और तर्जुबेकार नेता अकाली दल में शामिल हो रहे है, इससे शिरोमणि अकाली दल को बहुत बड़ी शक्ति मिली है। सुखबीर सिंह बादल ने बोलते हुए कहा कि उनको स. बराड़ के सियासी जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने कहा कि स. बराड़ बहुत अनुशान वाले ताकतवर और सूझवान नेता है। उनके पास सियासी जीवन का बहुत बड़ा अनुभव है। वही इस अवसर पर हरसिमरत कौर बादल ने बोलते हुए कहा कि आज बहुत ही खुशी का दिन है, जब एक बड़े कदवार नेता अकाली दल में शामिल हुए है।
उन्होंने कहा कि स. बराड़ ने हमेशा साफ -सुथरी सियासी लड़ाई लड़ी है। इस मोके जगमीत बराड़ ने बोलते हुए कहा कि वह शुक्रगुजार है कि उनके घर में हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया के अजीम शख्सियत स. प्रकाश सिंह बादल पहुंचे है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने अपनी कार्य प्रणाली के कारण हिंदुस्तान की सियासत में अपना नाम चमकाया है। स. बराड़ ने सुखबीर सिंह बादल द्वारा की जा रही मेहनत की प्रशंसा की और मजीठिया परिवार के साथ अपनी पुरानी नजदीकियों का जिक्र किया। आज स. बराड़ के घरस उनके समर्थकों का बड़ा इकटठ देखने को मिला। इस अवसर पर पूर्व विधायक रिपजीत सिंह बराड़ और अन्य आगु भी अकाली दल में शामिल हुए।
स. बराड़ ने बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि वह मानवीय फ़लसफे, सांझी वालता और भाईचारे की एकता समेत जात-पात के विरूद्ध काम करेंगे। जब किसी समय राजनीति में बुलंदियां छूने वाले कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद जगमीत सिंह बराड़ अपने समर्थकों की उपस्थिति में 19 अप्रैल की सुबह 11 बजे शिरोमणि अकाली दल(बादल) की सियासत में तकड़ी को थाम सकते है। श्री मुक्तसर साहिब में जगमीत सिंह बराड़ की रिहायशी स्थल गांव चड़ेवान में पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल और शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल समेत पूर्व अकाली मंत्री विक्रमसिंह मजीठिया पहुंच रहे है और उनकी उपस्थिति में स. बराड़ अपने साथियों समेत अकाली दल में शमूलियत करेंगे। स. बराड़ ने बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि वह मानवीय फ़लसफे, सांझी वालता और भाईचारे की एकता समेत जात-पात के विरूद्ध काम करेंगे।
उधर जगमीत बराड़ की शिअद में शामिल होने की भनक पड़ते ही कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने जगमीत बराड़ की खिंचाई करते कहा कि जगमीत बराड़ स्वयं सार्वजनिक मंचों पर कहते रहे थे कि उनके पिता का कत्ल बादलों ने करवाया है, अब वह किस मुंह से बादलों के कदमों में जा कर बैठें है? मोगा के पूर्व विधायक जो जगमीत बराड़ के गहरे मित्र रहे है, ने कहा कि बराड़ ने जो भी उपलब्धियां हासिल की है, वह बादलों के खिलाफ 9 चुनाव लडऩे और 40 सालों तक बादलों के विरूद्ध बोलने से प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि जगमीत बराड़ ने अपने पिता की चिता को अगिन देते शपथ ली थी कि वह जीवित रहते हुए बादलों से अपने पिता और परिवार को दिए गए धोखे का बदला लेंगे।
स्मरण रहे कि बादल परिवार के धुर विरोधियों में शुमार रहे जगमीत बराड़ ने ही सुखबीर सिंह बादल को चुनावों में हराया है। बराड़ जो पंजाब की सियासत में उच्च कोटी के विद्यार्थी रहे है, वह उस वक्त जब अकाली दल पर गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और बहिबल कलां की घटनाओं के आरोप लगे थे, बादलों को जिम्मेदार मानते हुए कोसते रहे है। पंजाब के लोग उन्हें पंजाबी और पंजाबियत की सारी उम्र सेवा करने के कारण जगमीत बराड़ को आवाज-ए-पंजाब का खिताब देते है।
जगमीत सिंह बराड़ का राजनीतिक जीवन उथल-पुथल वाला रहा है। वह 1998 में शिअद के पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़े थे और हार गए थे। 1999 में उन्होंने फरीदकोट लोकसभा हलके से शिअद की सरकार होते हुए सुखबीर बादल को हरा दिया था। इसके बाद वह कांग्रेस में हीरो बन कर उभरे थे।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ की पुत्रवधू व पूर्व विधायक करण कौर बराड़ का कहना है कि जगमीत बराड़ तो आए ही अकाली दल से थे। अब तो वह वापस अपने घर जा रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें फरीदकोट से एक बार टिकट देनी चाही थी, लेकिन वह भाग गए थे। हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
स्मरण रहे कि स. जगमीत बराड़ लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 के चुनाव में मिली हार को देखते हुए उन्होंने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखी टिप्पणी की, जिस कारण उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बाद में उनको 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में वापस ले लिया गया। लेकिन, इसके बाद वह फिर विवादित बयान देने लगे और इस बार तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी निशाने पर ले लिया। इसके बाद उनको फिर कांग्रेस से निकाल दिया गया और उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर पंजाब में परचम लहराने का प्रयास किया किंतु सफलता हाथ ना लगी।
– सुनीलराय कामरेड