नगा शांति वार्ता का परिणाम होगा सकारात्मक : रिजिजू - Punjab Kesari
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नगा शांति वार्ता का परिणाम होगा सकारात्मक : रिजिजू

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केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने आज कहा कि मौजूदा समय में जारी नगा शांति वार्ता पर पूरी ईमानदारी से काम किया जा रहा है और इसका नतीजा सकारात्मक होगा लेकिन उन्होंने अंतिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कोई समय – सीमा बताने से इंकार कर दिया।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने यह भी कहा कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के बाद विवादास्पद आफस्पा कानून नगालैंड, अरूणाचल प्रदेश और अन्य इलाकों से हटाया जाएगा ।

नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड (एनएससीएन-आईएम) के आइजक मुइवा गुट के साथ सरकारी वार्ताकार की बातचीत का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार नगा और पूर्वोत्तर के मसलों के प्रति अति संवेदनशील है ।

उन्होंने प्रेट्र से कहा, ‘‘नगा शांति वार्ता प्रक्रिया का बेहद ईमानदारी से पालन किया जा रहा है ताकि इसका परिणाम सकारात्मक हो ।’’

अंतिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए संभावित तारीखों के बारे में पूछे जाने पर रिजिजू ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में तीन अगस्त 2015 को एनएससीएन आईएम के महासचिव थुइंगालेंग मुइवा और सरकार के वार्ताकार आर एन रवि के बीच समझौते की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किया गया था ।

समझौते की यह रूपरेखा 18 वर्षों में 80 राउंड की बैठक के बाद निकलकर आयी थी । 1947 में देश की आजादी के तुरंत बाद नगालैंड में शुरू हुए हमलों के सिलसिले में 1997 में पहली सफलता मिली थी जब संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किया गया था ।

मंत्री ने बताया कि सुरक्षा बलों को अभियान चलाने, बिना पूर्व सूचना के किसी को भी कहीं से गिरफ्तार करने की ताकत देने वाला आफस्पा कानून सुरक्षा स्थिति में सुधार के बाद उन स्थानों से पूरी तरह हटा लिया जाएगा जहां यह कानून लागू है ।

उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर में पिछले चार चाल में चूंकि सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है, आफस्पा विभिन्न स्थानों से हटाया गया है। हम आशावान हैं कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के बाद निकट भविष्य में यह बचे हुए इलाकों से भी वापस ले लिया जाएगा ।’’

मेघालय से पूरी तरह और अरूणाचल प्रदेश से आंशिक रूप से आफस्पा हटा लिया गया है । लेकिन, यह कानून नगालैंड, असम और अरूणाचल प्रदेश के तीन जिलों में अब भी लागू है । यह कानून अब भी जम्मू कश्मीर में लागू है ।

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