लुधियाना-अमृतसर : श्री हरिमंदिर साहिब में गुरुद्वारा दुख भंजन बेर साहिब की शुरू हुई कारसेवा के दौरान वहां स्थित प्रचीन व ऐतिहासक बेरी दुख भंजनी की संभाल भी विशेषज्ञों की ओर से शुरू कर दी गई है। बुधवार को कृषि विभाग के विशेषज्ञों की ओर से बेरी की संभाल को मुख्य रखते हुए इसके उपर मिट्टी का लेप किया गया।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की ओर से पिछले 12 वर्षों से श्री हरिमंदिर साहिब में स्थित बेरियों दुख भंजनी बेरी, बेर बाबा बुड्ढा साहिब और लाची बेरी की संभाल की जा रही है। विशेषज्ञों की ओर से बेरियों की संभाल के लिए इनकी कांट छांट व कीटों से बचाने के लिए स्प्रे आदि किया जाता है। वहीं इनको बचाने के लिए अलग तरह से भी उपचार भी किया जाता है। दुख भंजनी बेरी के पास स्थित गुरुद्वारा साहिब की बनी इमारत व महिलाओं के लिए स्नान घर का विस्तार करने व पत्थर व सीमेंट के साथ घिरी बेरी को मिट्टी की खुराक देकर संभाला जा रहा है। इमारत की चल रही कारसेवा को मुख्य रख ही विशेषज्ञों ने बेरी के सारे तने पर मिट्टी का लेप किया है।
विभाग के विशेषज्ञ डॉ. नरिदरपाल ङ्क्षसह फार्मर सलाहकार सेवा केंद्र पीएयू लुधियाना ने बताया कि एसजीपीसी की कोशिशों के कारण ही इन बेरियों की संभाल पीएयू लुधियाना की ओर से की जा रही है। 12 वर्षों की मेहनत के कारण ही बेरियों को अब कुछ वर्षों से लगातार काफी फल लग रहा है।
उन्होंने बताया कि बेरी के पास बने महिलाओं के स्नान घरों के पास बेरी के लिए पर्याप्त मिट्टी न होने के कारण बेरी को जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। मिट्टी से बेरी को पोषक तत्व मिलते हैं। बेरी के ऐतिहासक महत्व को समझते हुए ही उस पर मिट्टी का लेप किया गया है। यहा गुरुद्वारे की सेवा 8 जून को बाबा सेवा ङ्क्षसह की ओर से शुरू करवाई गई थी। इस दौरान विशेषज्ञ डा गुरमीत सिंह और काबल सिंह आदि भी मौजूद थे।
– रीना अरोड़ा
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