लुधियाना- दीनानगर : धीयां क्यूं जमियां नी माएं, भले ही पंजाब के गीतों में उकेरा गया है किंतु आसमां से उतरी खूबसूरत मासूम नन्ही परी के इस दुनिया में आगमन पर एक सिख परिवार ने साबित कर दिया कि बेटियों को बेटों से बढक़र उत्सव मनाया जा सकता है। आज के जमाने में जहां बेटी के जन्म लेने पर उसे अकसर धिकारा जाता है वहीं सीमावर्ती इलाके गांव शिरकियां के अमृतधारी सिख परिवार ने बेटियों को ग्रहण बताने वालों के मुंह पर ऐसा तचामा मारा है, जिससे दुनिया की हर बेटी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। दीनानगर के अंतर्गत आते इस गांव में आज खुशी के साथ सारा गांव झूम रहा है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुरजीत सिंह नामक सिख युवक के घर करीब 10 साल के पश्चात बेटी ने जन्म लिया, यही नहीं बल्कि बच्ची के पिता ने अपनी बेटी के लिए एक खूबसूरत फूलों से श्रृंगार करके तैयार की गई नई कार और ढोल की थाप के साथ अपनी नवजन्मी बेटी को अस्पताल से घर की दहलीज पर स्वागत करवाया। इस दौरान पारिवारिक सदस्यों और गांववासियों ने खूब भंगड़े डाले, गिदा डाला।
फूलों से सुसज्जित गाड़ी को बकायादा पालकी का नाम भी दिया गया। इस अवसर पर बातचीत करते हुए सुरजीत सिंह ने बेटियों के मां-बाप को कहा कि आज के जमाने में बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं, आज के युग में हर बेटी सबकुछ कर रही है। उसके मुताबिक 10 साल बीत जाने के बावजूद वाहेेगुरू की कृपा से उसके घर में एक खूबसूरत बेटी का जन्म हुआ, जिससे वह और उसके पारिवारिक सदस्य बहुत खुश है। उसने यह भी कहा कि वे लोग बुझदिल होते जो बेटियों को गर्भ के दौरान ही जन्म लेने से पहले मार देते है।
यह भी पता चला है कि बेटी के आगमन पर सुरजीत के परिवार वालों ने बाकायदा अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और सेवादारों को ना-केवल लडडू खिलाकर मुंह मीठा करवाया बल्कि ढोल-धमाके से घर की दहलीज पर पारिवारिक रिश्तेदारों के साथ बेटी का भरपूर स्वागत किया। गांववासियों के मुताबिक एक बाप ने जिस प्रकार बेटी के आगमन पर खुशी का इजहार किया है अगर ऐसे ही समाज का हर शख्स करने लगे तेा दुनिया में भ्रूण हत्या को मिटाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेंगा।
– सुनीलराय कामरेड
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