आतंकियों की घुसपैठ को रोकने वाले शहीद मनदीप सिंह की शहादत को हजारों निगाहों ने किया सलाम - Punjab Kesari
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आतंकियों की घुसपैठ को रोकने वाले शहीद मनदीप सिंह की शहादत को हजारों निगाहों ने किया सलाम

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लुधियाना- बटाला : उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के केरन सैक्टर में पाक समर्पित आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए भारतीय सैनिक मनदीप सिंह का तिरंगे में लिपटा शव आज जैसे ही उनके पैतृक गांव चाहल कलां पहुंचा तो पूरा गांव शोक में डूब गया। गांव के ही जिगर के टुकड़े की शहादत का समाचार सुनते ही आसपास के दर्जनों गांवों के लोग शहीद के दर्शन करने के लिए आए हुए थे। गांव के सरपंच ने बताया कि कश्मीर के केरन सेक्टर के साथ लगती लाइन आफ कंट्रोल पर चोकन पोस्ट के करीब कुछ आतंकियों ने घुसपैठ का प्रयास किया तो इस दौरान शहीद मनदीप सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर उन्हें ललकारा तो आतंकियों ने इनपर भारी गोलीबारी शुरू की। मनदीप ने भी जमकर आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब दिया। इस दौरान इन्होंने एक आतंकी को मार गिराया। लेकिन आतंकियों की गोलीबारी के दौरान यह अपने साथियों समेत जख्मी हेा गया। घायल मनदीप को अस्पताल में शिफट किया, जहां डाक्टरों ने मृत करार दिया।

गांव के बच्चे की शहादत का समाचार सुनकर आज गांव में लोगों ने चूल्हे तक नहीं जलाए। शहीद मनदीप सिंह की शव यात्रा में गांव के लोग, रिश्तेदार, राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। गांव के श्मशानघाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंमित संस्कार किया गया। शहीद की माता भजन कौर तथा पत्नी राजविन्द्र कौर बिलख-बिलख कर रो रही थी। शहीद मनदीप सिंह के दो बेटे हंै जिनमें एक की आयु डेढ़ वर्ष तथा दूसरे की ढाई वर्ष बताई गई है। शहीद मनदीप सिंह को सेना के जवानों ने हथियार उल्टे करके सलामी दी और शहीद के पिता सेवानिविृत सूबेदार प्रेम सिंह ने अपने बेटे को मुखग्रि दी। इस दौरान शहीद मनदीप की जयघोष करते हुए लोगों ने उसे भारत मां का सच्चा बेटा करार दिया।

बताया गया है कि शहीद मनदीप सिंह सितंबर 2004 में सेना में भर्ती हुए थे इनके पिता प्रेम सिंह भी सेवानिवृत सूबेदार हैं जबकि बड़ा भाई राजेन्द्र सिंह भी सेना में सूबेदार है। शहीद मनदीप सिंह 9 सिख बटालियन में तैनात थे और करीब तीन महीने पहले छुट्टी काट कर गए थे और अपने बीमार पिता सूबेदार प्रेम सिंह तथा पत्नी राजविन्द्र कौर को कह कर गए थे कि वह जल्द ही वापिस आएंगे। लेकिन किसी को क्या पता था कि वह स्व्यं नहीं बल्कि उसकी मृत देह घर पहुंचेगी। ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें गांव के लाल की शहादत पर गर्व है। शहीद के माता-पिता ने भी अपने बेटे की मौत पर गर्व करते हुए कहा कि भले ही उन्हें जवान बेटे के खोने का दर्द है किंतु भारत मां के लिए शहादत देने वाले लाल विरले ही होते है।

– सुनीलराय कामरेड

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