लुधियाना-पटियाला : आज पटियाला की केंद्रीय जेल में फांसी के लिए सजा-ए-याफता आदेशों के तहत काल कोठरी में कई सालों से नजरबंद आतंकी भाई बलवंत सिंह राजोवाना ने सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरेामणि कमेटी और शिरोमणि अकाली दल से बेरूखी के चलते पहले से ही घोषित अनिश्चितकाल भूख हड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान राजोवाना को भूख हड़ताल से रोकने के लिए शिरेामणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोबिंद सिंह लोंगोवाल और एसजीपीसी के सदस्यों ने राजोवाना को मिलकर भूख हड़ताल वापिस लेने की अपील की परंतु राजोवाना ने अपने दृढ़ इरादों के चलते उन्हें स्पष्ट इंकार कर दिया। एसजीपीसी के सदस्यों ने बताया कि 18 जुलाई को वे इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को मिलने जा रहे है और राजोवाना की फांसी की सजा से संबंधित अपील पर जल्द फैसला लेने की गुजारिश करेंगे।
उधर पिछले 3 सालों से अलग-अलग स्थानों और बरगाड़ी में पंथ विरोधियों द्वारा पावन ग्रंथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की गई बेअदबी के खिलाफ और बंदी सिंहों की रिहाई के लिए दानामंडी स्थित बरगाड़ी में एक जून से इंसाफ लगाकर बैठे सरबत खालसा के जत्थेदार सिंह साहिबान ने भी पटियाला जेल में नजरबंद भाई बलवंत सिंह राजोवाना के संघर्ष का खुलकर समर्थन किया है।
जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा, जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड, जत्थेदार भाई अमरीक सिंह अजनाला समेत जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल ने भी संयुक्त बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि स्पष्ट किया है कि बलवंत सिंह राजोवाना द्वारा अपने मामले के ऊपर शिरोमणि कमेटी की ढीली कारगुजारियों के खिलाफ जो भूख हड़ताल शुरू हुई है, वह उनका बुनियादी अधिकार है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाई राजोवाना भूख हड़ताल पर बैठने से पहले विचार जरूर करें क्योंकि उनकी पहले ही पंथ के लिए बहुत कुर्बानी है। बापू सूरत सिंह खालसा पिछले लंबे समय से लुधियाना में भूख हड़ताल पर है और जिन्हें पंजाब सरकार ने पूरी तरह जबरी बंदी बनाया है और उन्हें जबरदस्ती फीड दी जा रही है।
जत्थेदारों ने यह भी कहा कि भाई गुरबक्श ङ्क्षसह खालसा ने बंदी सिंहों की रिहाई के लिए दो बार भूख हड़ताल और फिर मोर्चे पर तीसरे पड़ाव पर शहादत दे दी। जत्थेदार ने कहा कि शिरेामणि कमेटी पंथ की सिरमौर संस्था है और आजकल गलत हाथों में है, जिस कारण पंथ की ऐसी दुर्दशा बनी है। इसी कारण कही दानामंडी में दरिया बिछाकर इंसाफ की मांग और कही जेलों में सिंहों को मोर्चे लगाने पड़ रहे है।
उन्होंने कहा कि जब भाई रोजावाना को कोर्ट में फांसी का ऐलान किया था और विदेशों में सिखों के घरों के ऊपर केसरियां ध्वज फहराए गए थे। पंजाब में उस वक्त बादल की सरकार थी और बादलों ने पंथ और पंजाब के रोष को देखते हुए अपनी सरकार बचाने की खातिर एक साजिशन शिरोमणि कमेटी द्वारा भाई राजोवाना की पाटीशन राष्ट्रपति को डाली थी और हालात बदलते ही पैरवी छोड़ दी गई। उन्होंने कहा कि इस पैरवी को तुरंत बहाली होनी चाहिए ताकि सिख यौद्धाओं का सम्मान बहाल हो सकें।
– सुनीलराय कामरेड