लुधियाना-एसएस नगर : अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घोटाले मामले में मोहाली की अदालत ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत सभी मुलजिमों 10 साल के बाद आज बरी कर दिया है। अदालत ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दी गई इसी मामले की कैंसिलेशन रिपोर्ट पर मोहर लगा दी। इस मामले में आज कैप्टन अमरिंदर सिंह भारी सुरक्षाबंदोबस्त के तहत अदालत में चुनिंदा साथियों के साथ पेश हुए। स्मरण रहे कि इसी मामले में नामजद तीन पूर्व मंत्री चौधरी जगजीत सिंह, रघुनाथ सहाय पुरी और केवल कृष्ण की मौत हो चुकी है।
इधर कैप्टन अमरेंद्र सिंह के गृह स्थल पटियाला, लुधियाना,अमृतसर और जालंधर के इलाकों समेत सीमावर्ती जिलों से भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा एआईटी घोटाले में सभी 15 आरोपियों को क्लीन चिट देने को रदद करने के संबंध में अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जश्र का माहौल है। इस संबंध में कैप्टन के महल में भी कार्यकर्ताओं द्वारा लडडू बांटकर खुशी का इजहार किया गया और ढोल धमाके के साथ कैप्टन अमरेंद्र सिंह और उसके पारिवारिक सदस्यों को बधाई दी गई। पटियाला के मेयर संजीव बिटटू, वरिष्ठ डिप्टी मेयर युगिंद्र योगी समेत कई कांग्रेसी वर्करों ने महारानी परनीत कौर के साथ खुशियों को शेयर किया।
कैप्टन अमरेंद्र सिंह से लोगों का सवाल : कब होगा पंजाब से चिटटे का खातमा?
अदालत से बरी होने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उनको अदालत पर पूरा भरोसा था। कैप्टन ने कहा कि बेशक इस मामले में वह बाइज्जत बरी हुए है परंतु इतने सालों तक सरकार का पैसा बरबाद हुआ है। विजिलेंस द्वारा दर्ज इस झूठे मामले में 500 के करीब पेशियां हुई थी जिस कारण अदालत समेत अन्य लोगों का काफी वक्त खराब हुआ है। कैप्टन ने यह भी कहा कि उनके ऊपर उक्त केस सियासी दबाव के कारण दर्ज हुआ था। अदालत ने आगे अपील करने के लिए एक महीने की मोहलत भी दी है। इस मामले में कुल 18 आरोपी थी, जिनमें 3 की मौत हो गई थी। इस दौरान अदालत ने मामले की कैंसिलेशन रिपोर्ट को मंजूर करते हुए 10 मिनट के भीतर अपना फैसला दिया।
स्मरण रहें, पूर्व अकाली सरकार के समय पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा ट्रस्ट के बहुचर्चित 32 एकड़ जमीन घोटाले में कैप्टन सहित कई नेताओं पर मामला दर्ज किया गया था। मामले में विजिलेंस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट देकर कैप्टन व अन्य के खिलाफ कोई तथ्य न मिलने पर केस खत्म करने के लिए कहा था। लेकिन, इसके बाद पूर्व विधायक बीर दविंदर सिंह ने इस में सरकारी गवाह बनने के लिए अर्जी दायर कर दी थी।
वीर दविंदर सिंह ने अर्जी देकर कहा था कि उन्होंने इस केस को सामने लाने के लिए सारे प्रयास किए, लेकिन उनका पक्ष ही नहीं जाना गया। लेकिन 11 जुलाई को अदालद्य ने बीर दविंदर सिंह की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद इस मामले में अब फैसला आया है।
– सुनीलराय कामरेड