तीन पीढिय़ों से खेल जगत को समर्पित चमकता तारा सुखचैन चीमा हुआ इस दुनिया से अलविदा - Punjab Kesari
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तीन पीढिय़ों से खेल जगत को समर्पित चमकता तारा सुखचैन चीमा हुआ इस दुनिया से अलविदा

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लुधियाना-पटियाला : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध द्रोणाचार्य अवार्डी पहलवान 67 वर्षीय सुखचैन सिंह चीमा का बीते दिन सड़क हादसे में मौत के उपरांत आज पटियाला के घलोड़ी गेट स्थित शमशान घाट में सजल आंखों से अंतिम संस्कार किया गया। उनकी मृतक देह को अरदास के उपरांत अगिन भेंट उनके सुपुत्र डीएसपी और भारत केसरी के खिताब से सुशोभित ओलम्पियन पलविंद्र सिंह चीमा और राष्ट्रीय स्तर के पहलवान तेजपाल सिंह चीमा ने दी।

जबकि सुखचैन के ताया निर्मल सिंह अमेरिका से अपने पुत्रनुमा भतीजे को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे हुए थे। इस अवसर पर पटियाला शहर के अधिकांश पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ पारिवारिक सदस्य और सामाजिक व सियासी नेता भी मौजूद थे। अंतिम विदाई के वक्त जहां रूस्तम-ए-हिंद केसर सिंह कुश्ती अखाड़ा के पहलवानों ने अपने उस्ताद को अश्रुभरी अंतिम श्रद्धांजलि भेंट की वही बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से पहलवान खिलाड़ी और अनेकों शख्सियतों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

स्मरण रहे कि बीते दिन वीरवार को पटियाला बाईपास के नजदीक आल्टो कार से टकराने के उपरांत सुखचैन सिंह चीमा की मौत उस वक्त हो गई थी, जब वह केसरबाग पटियाला में अपनी कार से गांव भानरी स्थित खेत-खलिहानों की तरफ जा रहे थे। कुश्ती में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने में अहम भूमिका अदा करने वाले जाने-माने रैसलर केसर सिंह चीमा के बेटे थे और सुखचैन सिंह चीमा ने भी अपने बेटे को कुश्ती में दांवपेच सिखाएं और उनका बेटा पलविंद्र सिंह भी रूस्तम-ए-हिंद का खिताब जीत चुका है और वह ओलंपिक पहलवान है।

जानकारी के मुताबिक सुखचैन सिंह चीमा के पिता ने अपने वक्त में जाने-माने गामा पहलवान से अखाड़ा जीतने के बाद अखाड़े की स्थापना की थी और जहां सुखचैन सिंह ने कुश्ती की ट्रेनिंग ली और बाद में यही के कोच बन गए। 1974 में एशियनस गेमस के दौरान ब्राउंस मैडल जीता था और 2004 में इन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने करीब 70 से ज्यादा पहलवानों को दांवपेच सिखाएं है। यह भी पता चला है कि सैकड़ों पहलवान तैयार करने वाले चीमा के अखाड़े में किसी से भी कोई फीस नहीं ली जाती और ना ही कोई डिनोशन। सुखचैन सिंह चीमा ने बाहर से पहलवानी सिखने आने वाले विद्यार्थियों को रहने के लिए होस्टल सुविधा, खाने-पीने के लिए मैस और कसरत के लिए हाईटैक जिम की व्यवस्था भी मुफत दी हुई थी।

– सुनीलराय कामरेड

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