श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी पूरण सिंह का हुआ देहांत, श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता, वीरवार को अमृतसर में होगा दाह संस्कार - Punjab Kesari
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श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी पूरण सिंह का हुआ देहांत, श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता, वीरवार को अमृतसर में होगा दाह संस्कार

श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व सिंह साहिबान जत्थेदार और सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हैड ग्रंथी

लुधियाना-अमृतसर : श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व सिंह साहिबान जत्थेदार और सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हैड ग्रंथी ज्ञानी पूरण सिंह आज अकाल -चलाना (स्वर्गवास) कर गए। आज सुबह उन्होंने अपनी आखिरी सांस 9 बजे के करीब निजी अस्पताल में  ली। सिख स्टूडेंट फैडरेशन के प्रधान अमरजीत सिंह धोत ने बताया कि ज्ञानी पूरण सिंह जी का अंतिम संस्कार 26 सितंबर को किया जाएंगा। 
श्री अकाल तख्त साहिब के मोजूदा कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल, मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह और चीफ खालसा दीवान के प्रधान भाग सिंह अनखी ने उनके देहांत पर दुख प्रकट किया है। इसी संबंध में शिरोमणि कमेटी द्वारा तेजा सिंह समुद्री हाल में शोक सभा भी की गई।  ज्ञानी पूरण सिंह की मृत्यु दिल का दौरा पडऩे से हुई है।
 
स्मरण रहे कि जून 1984 के दौरान जब देश की सेना द्वारा श्री दरबार साहिब पर तोपों और टैंकों से हमला किया गया था, उस वक्त सबसे अधिक सब्र दिखाते हुए इन्होंने सेवा निभाई थी। जानकारी के मुताबिक जब दरबार साहिब पर हेलीकेप्टर और तोपों के जरिए गोले बरसते थे, सिहं साहिब जी ने अपनी जान बचाने की बजाए गुरू घर की सेवा निभाई। जबकि इनके साथ कीर्तनीय भाई अवतार सिंह जी परोवाग कीर्तन करते गोली लगने से शहीद हो गए थे, लेकिन  सिंह साहिब जी ने 84 का पूरा आप्रेशन ब्लू स्टार अपनी नंगी आंखों से देखा और इस दौरान बहुत से सिंह और शहीद परिवारों को खुफिया रास्तों से बाहर का रास्ता दिखाया।
 
एसजीपीसी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भाई पूरण सिंह जी के अकाल चलाने पर दुख प्रकट करते कहा कि एसजीपीसी और समस्त सिख उनके परिवार के साथ हमदर्दी प्रकट करते है इसके अलावा केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने दुख प्रकट किया। उनके मुताबिक ज्ञानी पूरण सिंह सिख पंथ की सर्वोच्च धार्मिक संस्था की शख्सियत थे, जिनके अचानक चले जाने पर पंथ को ना पूर्ण होने वाली कमी बताया। इस दौरान शिरोमणि कमेटी के मुख्यालय में शोक सभा की गई, जिसमें मूलमंत्र और गुरूमंत्र के जाप करके बिछड़ी रूह को श्रद्धांजलि देते अरदास की गई।
सुनीलराय कामरेड

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