लुधियाना : देश की 172 किसान संगठनों द्वारा स्वामीनाथन आयोग द्वारा केंद्र सरकार को दी गई सिफारिशों को लागू करवाने के लिए और किसानों के समस्त कर्जो के ऊपर लाइन फेरने को लेकर 1 जून से 10 जून तक शुरू किया हुआ संघर्ष अब पंजाब में 6 जून को खत्म हो जाएंगा। यूनियन के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल और महासचिव हरजिंद्र सिंह लखेवाला ने बताया कि यह फैसला लोकहित को मुख्य रखते लिया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों का अब तक का प्रदर्शन शांतमयी रहा है। बहुत स्थानों पर किसान लोगों ने मुफत सबिजयां बांटी, जिससे आम जनता को काफी फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों और व्यापारियों के मध्य विवाद को खत्म करने के लिए यह फैसला लिया गया है। जबकि जानकारी के मुताबिक लगातार प्रदर्शनों के चलते जहां लोग प्रभावित हो रहे थे, वही कई गरीब किसान और डेयरी फार्म वाले भी भारी दिक्कतों का सामना कर रहे थे और उन्हें भारी नुकसान का डर सता रहा था।
लुधियाना में किसान संगठनों की एक बैठक के बाद संगठनों की ओर से सर्कट हाउस में पत्रकार वार्ता का आयोजन करके किया गया। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), भाकियू (लक्खोवाल), भाकियू (सिद्धूपुर), इंडियन फार्मर एसोसिएशन, भाकियू (कादियां) व प्रोग्रेसिव डेयरी फारमर्ज एसोसिएशन शामिल रहीं। भाकियू राजेवाल के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि किसान संगठनों की ओर से आंदोलन में शामिल जत्थेबंदियों के नेताओं की बैठक में आंदोलन के हालात पर संतुष्टि जाहिर की गई है। उन्होंने कहा कि पीडीएफए व अन्य दूध उत्पादकों की ओर से उठाई समस्याओं पर इस दौरान विचार किया गया। सभी नेताओं ने महसूस किया कि अब तक पीडीएफए व सभी दूध उत्पादकों सहित समूचे किसानों ने शांतिमय तरीके से आंदोलन में हिस्सा लिया है, जिसके लिए वह सभी के धन्यवादी हैं।
हालांकि उन्होंने रोष जताया कि सरकार की ओर से अलग-अलग खूफिया एजेंसियों व अन्य तरीकों के जरिए उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार इस आंदोलन की सफलता से घबरा गई है और किसानों को आपस में लड़ाना चाहती है। जिसके चलते पीडीएफए के निवेदन को मानते हुए, 1 से 10 जून तक की जा रही हड़ताल को 6 जून से पंजाब में समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।
जिसे 6 जून को मध्य प्रदेश में पिछले साल आंदोलन में शहीद होने वाले 6 किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने, कृषि को माफ करने सहित किसानों की अन्य मांगों को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस दौरान उन्होंने गत दिवस केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन की ओर से किसान आंदोलन को लेकर की गई टिप्पणी की निंदा की।
सुनीलराय कामरेड
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