सिख इतिहास की प्रमाणिकता को कांग्रेस दे रही है चुनौती - लोंगोवाल - Punjab Kesari
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सिख इतिहास की प्रमाणिकता को कांग्रेस दे रही है चुनौती – लोंगोवाल

1984 के सिख कत्लेआम के दोषियों को सजाएं दिलवाने और 12वी कक्षा के इतिहास की पुस्तक में गुरू

लुधियाना-अमृतसर : 1984 के सिख कत्लेआम के दोषियों को सजाएं दिलवाने और 12वी कक्षा के इतिहास की पुस्तक में गुरू साहिबान के बारे गलत जानकारी देकर उनका अपमान करने के आरोपियों को सजा दिलवाने का आधार बनाकर दोषियों के विरूद्ध केस दर्ज करने की मांग को लेकर आज शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से गुरूद्वारा श्री झंडे बूंगे श्री हरिमंदिर साहिब में अरदास की गई।

इस मोके एसजीपीसी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल समेत अन्य एसजीपीसी सदस्य और अधिकारी भी उपस्थित थे, वही पंजाब की कांगे्रस सरकार द्वारा गुरू इतिहास से छेड़छाड़ के खिलाफ बीते दिन शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में शुरू किया गया धरना आज दूसरे दिन भी जारी रहा। आज इस धरने की अगुवाई शिरोमणि कमेटी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल कर रहे थे, इनके अलावा सुखबीर सिंह बादल और विक्रम सिंह मजीठिया शामिल रहे।

एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने कहा कि स्कूली पुस्तकों के पाठ्यक्रम में सिख गुरुओं के साथ संबंधित इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश करके कांग्रेस सरकार सिखों के इतिहास की प्रामाणिकता को चुनौती दे रही है। इस को सिख कौम किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी। सिखों पर अत्याचार करने में कांग्रेस पार्टी ने तो मुगल शासन को भी मात दे दी है। सिख इतिहास को पुस्तकों में तोडमरोड़ कर पेश करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमंरिदर सिंह भी बराबर के दोषी है इस लिए कैप्टन को सिख कौम और श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मांगनी चाहिए। वर्ष 1984 में सिख कल्तेआम को अंजाम देकर कांग्रेस पार्टी ने अपना सिख विरोधी चेहरा बेनकाब कर दिया है। सिख कौम कांग्रेस पार्टी को कभी भी माफ नहीं करेगा।

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लोगोवाल शुक्रवार सुबह श्री अकाल तख्त साहिब पर नवंबर 1984 के दंगों के दौरान मारे गए निर्दोष सिखों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित की गई अरदास के बाद अकाली दल की ओर से टाउन हाल में पंजाब सरकार के खिलाफ लगाए गए धरने में शामिल होने से पहले मीडिया के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उनके साथ एसजीपीसी के अधिकारी, पदाधिकारी और एसजीपीसी के कर्मचारी भी धरने में शामिल हुए।

लोगोवाल ने कहा कि जब जब भी देश और पंजाब में कांग्रेस की सरकारों ने सत्ता संभाली है सिखों के उपर अत्याचार बढे है। कांग्रेस पार्टी ने तो सिखों पर अत्याचार करने में मुगल शासन को भी मात दे दी है। जून 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब के उपर एक राजनीतिक साजिश के तहत तोपों व टैकों से हमला करवाया गया। फिर नंबर 1984 में दिल्ली समेत देश के अलग अलग शहरों में सिखों का कत्लेआम करवाया गया। उन्होंने कहा कि सिख कौम जून व नवंबर 1984 की घटनाओं को किसी भी कीमत पर नहीं भूल सकती। 34 वर्षों से पीडित न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे है। अब सिखों पर एक बडा हमला करते हुए 12वीं कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तक में सिख इतिहास के पांच चैंप्टर दर्ज करके उनके गुरु साहिब के साथ संबंधिक घटनाओं और इतिहास को गलत ढंग से गलत शब्दों का उपयोग करके पेश किया है।

जिस से सिखों की धार्मिक भावनाए बडे स्तर पर आहित हुई है। एक साजिश के तहत कांग्रेस पार्टी सिखों की आने वाली पीढियों को सिख गुरुओं के असल इतिहास से वंचित करने की साजिशों में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि अकाली दल की ओर से सिख इतिहास को बचाने के लिए शुरू किए गए आंदोलन में एसजीपीसी पूरी तरह उनके साथ है। सिखों पर किए जा रहे बौधिक हमले के खिलाफ एसजीपीसी डट कर मैदान में आएगी। अकाली दल ने हमेशा ही सिखों के मसलों को हल करवाने के लिए आगे आ कर रोल अदा किया है जिस की एसजीपीसी प्रशंसा करती है।

लोंगोवाल ने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार को सिखों विरोधी नीतियों को किसी भी तरह सफल नही होने दिया जाएगा। सिख इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके कांग्रेस सरकार का मंदभागा फैसला है।जब तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पंजाब सरकार नहीं करती तब तक सिखों के अंदर सरकार के खिलाफ पैदा रोष शांत नहीं होगा। एक छेड़छाड़ एक सुनियोजित साजिशा के तहत की गई है। उनकी मांग है कि मुख्यमंत्री इस मामले में सिख कौम से माफी मांगे और इस में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

इस अवसर पर एसजीपीसी के अलग अलग पदाधिकारी हरपाल सिंह जल्ला, डा रूप सिंह , गुरबचन सिंह कर्मूवाल, लखबीर सिंह अराईवाला, भगवंत सिंह सियालका, गुरमीत सिंह बूह, सज्जन सिंह बज्जूमान, अमरजीत सिंह चावला, हरदेव सिंह रोगला, गुरंतेत सिंह ढड्डे, बीबी जोगिंदर कौर, प्रितपाल सिंह , हरभजन सिंह वक्ता, बावा सिंह गुमानपुरा, कुलविंदर सिंह रमदास, बिजै सिंह , दिलजीत सिंह बेदी, दर्शन सिंह , सुलखन सिंह भंगाली, प्रगट सिंह , बाबा बुध सिंह , बाबा सुखविंदर सिंह आदि भी मौजूद थे।

– सुनीलराय कामरेड

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