लुधियाना-श्री आनंदपुर साहिब : खालसाई जाहो-जलाल का प्रतीक वार्षिक 3 दिवसीय, कौमी जोड़ मेला होला-मोहल्ला की खालसा पंथ की जन्मभूमि श्री आनंदपुर साहिब में मर्यादा पूर्वक आरंभ हो गया। सुबह तख्त श्री केसगढ़ साहिब में तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह द्वारा अरदास उपरांत श्री अखंड पाठ साहिब की शुरूआत की गई।
इस अवसर पर ज्ञानी रघुवीर सिंह ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि श्री गुरू गोबिंद सिंह जी द्वारा मृतक हो चुकी भारतीय खलकत (दुनिया) को उस वक्त के जाबर और जालम हाकमों के खिलाफ संघर्ष करने और कौम में जोश पैदा करने के लिए रवायती होली के त्यौहार के बराबर 1700 ईस्वी में होला मोहल्ला की परंपरा शुरू की गई थी। गुरू ग्रंथ साहिब जी की आरंभता की गई और इसी परंपरा खालसा पंथ को हमेशा संघर्षशील और तैयार-बर-तैयार रहने का संदेश देती है।
स्मरण रहे कि आनंदपुर साहिब में होला-मोहल्ला का रंगीला अंदाज देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की संगत जुटती है। पंजाब में इसे जाबांजों की होली भी कहा जाता है। इस अवसर पर भांग की तरंग में मस्त होकर घोड़ों पर सवार जाबांज निहंग हाथ में निशान साहिब थामे और तलवारों के करतब दिखाकर साहस, पौरूष और उल्लास के हैरतअंगेज प्रदर्शन करते है।
5 प्यारों के नेतृत्व करते हुए जुलूस में निहंगों के अखाड़े, नंगी तलवारों के करतब दिखाते हुए बोले सोह निहाल के नारे बुलंद करते है। एसजीपीसी अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल के मुताबिक राष्ट्रीय पर्व होला मोहल्ला खालसा पंथ की चढदी कलां का प्रतीक है।
– सुनीलराय कामरेड
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