मोगा के नजदीक गुरूद्वारा साहिब की सेवा संभाल को लेकर हुआ खूनी टकराव - Punjab Kesari
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मोगा के नजदीक गुरूद्वारा साहिब की सेवा संभाल को लेकर हुआ खूनी टकराव

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लुधियाना-मोगा  : पिछले सवा तीन महीनों से चला आ रहा मौखिक टकराव आखिर उस वक्त खूनी टकराव में बदल गया जब गांव सेधावाला में सुशोभित गुरूद्वारा श्री हरगोविंद साहिब की सेवा संभाल को लेकर आपसी दोनों पक्ष पुलिस की मौजूदगी में एक दूसरे पर भूख भेडि़ए की भांति टूट पड़े। दोनों पक्ष गुरूद्वारा साहिब की दहलीज के अंदर ही ना केवल पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हाथा पाई पर उतरे बल्कि दोनों पक्षों की इस लड़ाई में सिखी स्वरूप की आन और बान समझे जाने वाली दस्तारें बड़ी गिनती में उतर गई।

हालांकि मौके पर मौजूद डीएसपी सिटी गोबिंद सिंह और थाना सदर रमेश पाल की अध्यक्षता में मौजूद पुलिस मुलाजिमों ने हालात पर काबू पाने के लिए भारी मशक्कत की और हालात को किसी ना किसी प्रकार से काबू किया। स्थिति को शांत बनाए रखने के लिए अन्य पुलिस थानों के मुलाजिमों को भी बुलाना पड़ा। गौरतलब है कि इस संघर्ष में घायल होने वाले सिख सेवादार सियासी पार्टियों से जुड़े बताएं जा रहे है। घायलों व्यक्तियों में इंद्रजीत सिंह, शिंगारा सिंह, चंद सिंह, सुखविंद्र सिंह, प्रीतम सिंह, बलवंत सिंह और प्रवीण कौर को सिविल अस्पताल मोगा में इलाज के लिए दाखिल करवा दिया गया है। हालाकि किसी भी गुट ने अभी तक कोई भी मामला पुलिस में दर्ज नहीं करवाया।

जानकारी अनुसार गुरूद्वारा साहिब की सेवा संभाल पिछले 20 बरसों से शिरोमणि अकाली दल से संबंधित गुरूदेव सिंह और उसके समर्थक करते आ रहे थे किंतु उनकी पूरी कमेटी ने 5 महीने पहले अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए इस्तीफे देकर इलाकावासियों को नई कमेटी चुनने के लिए कहा। इस पश्चात गांव के एक अन्य गुट ने प्रस्ताव पास करके सेवा संभाल का जिम्मा गुरतेज सिंह और एक अन्य गुट को सौंप दिया किंतु गांव के कुछ लोगों को यह कतई मंजूर नहीं था, इसी बीच नई कमेटी के बनने-बनाने के बीच गुरूद्वारा साहिब में आपसी तनाव के चलते कोई भी कार्य आरंभ नहीं हो रहा था।

सूत्रों का यह भी मानना है कि दरअसल गांव में माहौल तनावपूर्ण तभी से चला आ रहा है जब विधानसभा चुनावों से पहले शिरोमणि अकाली दल की गांव में हुई बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी और अकाली दल के स्थानीय नेताओं द्वारा एक-दूसरे के विरूद्ध आरोपों के साथ-साथ बात तू-तू मैं-मैं से बढ़ती हुई लड़ाई-झगड़े तक जा पहुंची थी।

इस संबंध में गुरप्रीत सिंह का कहना था कि गांव के लोगों में से 14 सदस्य है और विरोधी जानबू्रझ कर गुरूद्वारा साहिब की संभाल करने नहीं दे रहा जबकि दूसरी तरफ गुरूतेग सिंह का भी कहना है कि विरोधी गुट जानबूझकर रूकावटें खड़ी कर रहा है। इसी बीच यह भी पता चला है कि 12 सितंबर को दोनों गुटों के सात-सात सदस्यों को स्थानीय विधायक डॉ हरजोत कमल ने अपने कार्यालय में मामला निपटाने के लिए बुलाया है।

– सुनीलराय कामरेड

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