बटाला दर्दनाक पटाखा हादसा : पोस्टमार्टम के बाद चीख-चिंखाड़ों के बीच 20 लाशों का हुआ अंतिम संस्कार ,सांसद सन्नी देओल पहुंचे सिविल अस्पताल - Punjab Kesari
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बटाला दर्दनाक पटाखा हादसा : पोस्टमार्टम के बाद चीख-चिंखाड़ों के बीच 20 लाशों का हुआ अंतिम संस्कार ,सांसद सन्नी देओल पहुंचे सिविल अस्पताल

पिछले 50 सालों से कभी वैध और कभी अवैध तरीकों से चल रही बटाला की हादसाग्रस्त बारूद फैक्ट्री

लुधियाना- बटाला (गुरदासपुर) : पिछले 50 सालों से कभी वैध और कभी अवैध तरीकों से चल रही बटाला की हादसाग्रस्त बारूद फैक्ट्री में लगी आंच ज्यों-ज्यों ठंडी पड़ती जा रही है त्यों-त्यों अपनों को खोने का दर्द  वारिसों में चीख-चिंखाड़ों और भारी रूदन के बीच मोजूद हर शख्स की आंखें नम थी। इस दर्दनाक हादसे के दौरान 24 के करीब बिछड़ी रूहों की शांति के लिए स्थानीय गुरूद्वारा साहिब में अरदास हुई तो मंदिरों में भी सामूहिक प्रार्थना सभाओं का आयोजन हुआ।
इसी बीच मारे गए 20 के करीब लोगों का सिविल अस्पताल बटाला में चिकित्सक पैनलों ने पोस्टमार्टम के उपरांत लाशों को पंजाब पुलिस के हवाले किया। तो पुलिस ने भी बड़ी संजीदगी से बारी-बारी लाशों के वारिसों की पहचान करते हुए उनके अपनों को सफेद कफनों में लपेटकर सौप दिया, जो 24 घंटे पहले उनके सामने जिंदा जागते इंसान के रूप में हंस-खेल रहे थे, इन मृतक देहों की मौत के आगोश में जाने के दौरान कहानियां दर्दनाक है, जिन्हें कलम के शब्दों में बयां करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। 
कोई मृतक शख्स घटना स्थल पर बाबे नानक और जगत माता सुलखनी जी के ब्याह की तैयारियों के लिए हिस्सा लेने के लिए पटाखे खरीदने गया था, तो कोई राहगिरी के रूप में अपने गंतव्य स्थान की ओर जा रहा था कि इसी इलाके के विस्फोट रूपी मंजर का वह शिकार हो गया। 
कई लोगों के हाथ उड़े तो कईयों के पूरा धड़ सडक़ के किनारे एक ओर पड़ा, अपने दर्द की कहानी बयां करने के लिए काफी था। हालांकि स्थानीय लोगों के जितने भी हाथ आगे बढ़े वे सब वाहेगुरू के भाने को मानकर खामोश है कितु प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते उनकी आंखों में गुस्से का आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था। अड़ोस-पड़ोस के लोगों ने मृतक देहों पर अपने-अपने घरों में बिछने वाली चादरों से क्षतिग्रस्त लाशों को कफन के रूप में ढकने से गुरेज नही किया। 
इसी दर्दनाक मंजर के बीच फैक्ट्री मालिक के 4 भाईयों में से 3 की मौत हुई है। यह भी पता चला है कि बाबे नानक के ब्याह और दीवाली के लिए यहां बारूद जमा किया गया था, जो एक ङ्क्षचगारी के साथ ही 4 बड़े ब्लास्टों में तबदील हो गया।  बहरहाल एनडीआरएफ के जवानों ने प्रशासनिक और पुलिस सहायता के बीच समाज सेविकों की मदद से समस्त कार्यो को अंजाम दिया है। वे हौसला अफजाई के पात्र है। 
उधर आज बटाला के सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के उपरांत 20 लोगों के संस्कार कर दिए जाने की खबरें मिली है। हालांकि 3 लोगों की शिनाख्त ना होने के कारण उनकी लाशें अस्पताल के मार्चरी रूम में रखी गई है। अमृतसर से पहुंचे एक शख्स सतनाम सिंह ने अपने  2 पारिवारिक सदस्यों की लाशें लापता होने के आरोप लगाए है। 
सतनाम सिंह अन्य पारिवारिक सदस्यों और जान-पहचान वालों के साथ सिविल अस्पताल बटाला पहुंचा था, उसने बताया कि वह कल पहले दिन ही पटाखा फैक्ट्री में काम पर आया था, सतनाम सिंह और अन्य ने आज एक अखबार में छपी फोटो देखी जोकि मृतक हालत में लगती थी किंतु जब वह अस्पताल पहुंचे जो वहां उन्हें अपने की लाश नहीं मिली उसने रोते हुए बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक वे इस संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाएंगे। मौतों की जारी हुई सूची में सतनाम सिंह का नाम भी नहीं और पोसटमार्टम कमरे में पड़ी तीनों लाशों में सतनाम सिंह की मृतक देह भी नहीं है।
 
सिविल अस्पताल में डीसी और अनय प्रशासनिक अधिकारियों को पीडि़त लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा, इस दौरान पंजाब पुलिस और कैप्टन अमरेंद्र सिंह की कांग्रेस सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी हुई। लोगों के आरोप थे कि समय रहते इस दुर्घटना को टाला जा सकता था। 
लोगों के मुताबिक जनवरी 2017 में जब फैक्ट्री को आग लगी थी और 2 कारीगर जख्मी हुए थे, तब स्थानीय लोगों ने इस बारूद फैक्ट्री को विरोध दर्ज करवाते हुए रिहायशी इलाके से निकाले जाने के लिए संघर्ष किया था, जब एसडीएम पृथ्वी ने जांच करने को कहा था और खानापूर्ति करके जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
– सुनीलराय कामरेड

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