लुधियाना : ग्रामीण मिनी ओलंपिक्स के नाम से प्रसिद्ध 82वां किला रायपुर खेल मेला शानो शौकत के साथ दूसरे दिन में प्रवेश किया। इस दौरान बुजुर्ग भी नौजवानों से पीछे नहीं दिखे और दौड़ में भाग लेते हुए दमखम दिखाया। खेल मुकाबले के दूसरे दिन जहां विभिन्न तरह के कर्तब दिखाएं गए वहीं हाथी और ऊंट भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे। इस दौरान दर्शकों ने ऊंट व हाथी की सवारी कर खूब आनंद उठाया। इस मौके पर अमेरिका में जन्मे एनआरआई पंजाबी एलैक्सी ग्रेवाल मुख्यातिथि मौजूद रहे और विजेता खिलाडिय़ों को सम्मानित कर उनका हौंसला बढ़ाया। खेल मुकाबले का आरंभ एथलेटिक्स व हॉकी मुकाबलों से हुआ। जिसमें इसबार लड़कियों के हॉकी मुकाबले भी करवाए गए। दांतो से हल उठाना, बैंच प्रैस, हाथो से भार उठाना, बालो से कार खिंचना, कानो से वजन उठाना, दांतो से भार उठाना आदि रोचक व हैरतअंगेज कर्तब दिखा सभी दर्शकों को हैरान कर दिया। इसके साथ ही मूक बाधिर बच्चों ने अपनी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सेल्फ डिफेंस के तरीके बताए। गतका कलाकारो ने भी अपनी कला का प्रदर्शन कर सबका मनोरंजन किया।
बोलने-सुनने में मोहताज 40 बच्चो ने दिखाया कमाल
ये बोल-सुन नहीं सकते, लेकिन इनके हाथों में इतनी ताकत है कि दुसरों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मज़बूर कर दें। ये हैं पटियाला के मूक-बधिर स्कूल से संबंधित मूक-बधिर बच्चे। जिन्होंने मेले के दूसरे दिन ताईकवांडों में हैरान कर देने वाले कारनामे दिखाए। बच्चों ने छलांग लगाकर लात से थाली गिराना, हाथ से टाइल तोडऩा, छलांग लगाकर छाती से टयूब तोडऩा आदि का प्रदर्शन किया। करीब 40 बच्चों को लेकर कोच सतविंदर सिंह किलारायपुर खेल मेले में पहुंचे। मूक बाधिर खिलाड़ी पुरन ने 9 फुट उंची छलांग लगाई और राहुल ने 12 फुट उंची छलांग लगाई। उनके साथ 80 लड़कियां (नार्मल) भी पटियाला के विभिन्न स्कूलो प्ले वे सीनियर सैकेंडरी स्कूल सैफदीपुर, धालीवाल सीनियर सैकेडरी, शुशिला देवी स्कूल, स्मार्ट माइंड स्कूल आदि से शामिल हुए और सैल्फ डिफैंस के गुर दिखाए। सतविंदर सिंह ने बताया कि वह करीब 7 साल से 150 बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। जबकि ये बच्चे 5 साल से यहां प्रदर्शन करने आ रहे हैं। इसके अलावा अन्य प्रतियोगिताओं में भी दमखम दिखाते हैं। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व ब्लैक बैल्ट होल्डर सतविंदर के मुताबिक उन्हें 1 साल तक इन बच्चों को सिखाने में दिक्कत आई। लेकिन स्पेशल एजुकेशन प्राप्त अध्यापक सुखबीर सिंह की सहायता से उन्होंने बच्चों की ट्रेनिंग दी।
इस उम्र में भी जोश जवानी का
जहां बुढ़ापे में आकर लोग बैठ जाते है वहीं कुछ बुजुर्ग ऐसे भी है जिनकी उम्र 70 से भी अधिक है। परंतु हौंसले बुलंद है और जोश नौजवानो जैसे। किलारायपुर खेल मेले में हुई बुजुर्गो की दौड़ में बुजुर्गो ने दमखम दिखाते हुए जोश का बेहतरीन प्रदर्शन किया और पहला स्थान भी हासिल किया। दौडऩे वाले इन बुजुर्गो को सभी ने बधाई भी दी। ढंढारी कलां के जरनैल सिंह (67) ने 100 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल करते हुए खूब वाहवाही बटौरी। उन्होंने बताया कि वह नगर निगम लुधियाना से रिटायर्ड जेई है। इससे पहले वह मिल्ट्री में थे। 1977 से लेकर 1982 तक 100 मीटर और 400 मीटर दौड़ में बेस्ट कमांडर भी रहे। उन्होंने बताया कि वह पीएयू में रोजाना दौड़ के लिए प्रेक्टिस करता हूं। उनसे उनका पौता जयदीप भी प्रभावित होकर स्कूल में होने वाले दौड़ मुकाबले में भाग लेकर पहला स्थान हासिल कर चुका है। वहीं समराला के हरभजन सिंह ने (70 से अधिक)दौड़ में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने बताया कि वह फौज में नायक रह चुके है और बैंक में 24 साल गनमैन रहे है। वह पूरी तरह वेजिटेरियन है। डाइट में बादाम, बोर्नविटा, चन्ने आदि खाते है। इसके अलावा वह 800 मीटर, 400 मीटर, 200 मीटर और 100 मीटर दौड़ में भी भाग लेते हुए पहले व दूसरे स्थान पर रहे है।
हैरतअंगेज कारनामे से लुभाया सबका मन
तहसील समराला के नजदीक स्थित गांव ककराला वाला के रहने वाले 80 साल के राय सिंह ने किलारायपुर खेल मेले में भाग लेते हुए 2 क्विंटल 20 किलो भार उठाया। उन्होंने बताया कि वह पिछले 4-5 साल से इस मेले में आ रहे है। वहीं बरनाला से आए धीरा सिंह फौजी ने 90 किलो वजन उठाया। उन्होंने बताया कि वह हर साल यहां स्पेशल छुट्टी लेकर आते है। वह अपने पिता के दिखाए मार्ग पर चलते हुए यह कर्तब दिखा रहे है। क्योंकि वह भी इस मेले में कर्तब दिखाया करते थे। समराला के ही नजदीक गांव अखाड़ा धुमछेड़ी के रहने वाले गुरमीत सिंह ने मुंह से 30 किलो के भार की साइक्लि को उठा कर घुमाया। उन्होंने बताया कि वह 20-21 साल से प्रेक्टिस कर रहे है। पिछले 3-4 साल से इस मेले में आ कर कर्तब दिखा रहे है।
अपाहिज है परंतु भार के साथ साथ कबड्डी के भी है खिलाड़ी
हरियाणा के रायपुरानी से कर्तब दिखाने मेले में आए धर्मपाल पहलवान एक पांव से हैंडीकैप्ट है। इसके बावजूद भी वह जोश के साथ कर्तब दिखा रहे है। उन्होंने दांतो से 50 किलो का भार उठाया। उन्होंने बताया कि वह यह सब सिर्फ शोंक के लिए करते है। पिछले तीन साल से मेले में आ रहे है। इसके अलावा हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में भी भाग यह कर्तब दिखाते है। इस कर्तब के अलावा वह कुशती के खिलाड़ी भी है। वह 80 किलो भार में कुशती मुकाबले में भाग लेते है।
हाथी व ऊंट लेकर पहली बार मेले में पहुंचे
गांव पत्तो हीरा सिंह के रहने वाले चमकौर सिंह पहली बार मेले में अपने ऊंट लेकर पहुंचे, जिनके साथ 25 साल का शेरू और 30 साल का बिट्टू था। उनके मुताबिक लोग इन्हें देखना पसंद करते हैं। इसीलिए वह खासतौर से नगरकीर्तन व शादी-विवाह में इसे लेकर जाते हैं। उनके मुताबिक इनका एक महीने का खर्च 20 हज़ार रूपए के करीब है। वहीं लुधियाना, अमृतसर व जालंधर से हाथी लेकर आए चुन्नी लाल ने बताया कि 55 साल की रूपा व 45 साल की फुलवत्ती की सवारी लोगों को काफी पसंद आ रही है। बोले उनकी रोजी-रोटी इन्हीं के सहारे चलती है।
राजू व शेरु के नाच ने सबको लुभाया
बठिडां के सिरसा वाला के हरविंदर सिंह के ऊंटो ने सभी दर्शको का मन लुभाया। इस दौरान ऊंटो की जोड़ी ने नांच दिखाया। हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले आठ से इस मेले में आ रहे है। पहले वह घोड़े लेकर आते थे। इस बार वह ऊंट लेकर आए है। राजू की उम्र साढ़े आठ साल और शेरु की उम्र 5 साल है। वह अलग अलग जगहों पर जाकर कर्तब दिखाते है।
– रीना अरोड़ा
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