लुधियाना-अमृतसर : पंजाब में घटित हो रही श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी की घटनाओं को लेकर प्रतिदिन नए फरमान और नसीयतें जारी करने वाली शिरोमणि कमेटी ऐसी घटनाओं को किस प्रकार हलके स्तर पर लेती है, इसकी ताजा मिसाल आज होने वाली घटित घटना के उपरांत सामने आया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शाम 6 बजे के करीब लुधियाना की रहने वाली बिमला नामक एक महिला ने जब दुखभंजनी बेर के सामने स्थित कमरा नंबर 5 में चल रहे र्निविध्र अखंड पाठ के दौरान पावन स्वरूप से रूमाला साहिब खींचने की कोशिश की तो डयूटी पर मोजूद अखंड पाठी सिंह ने नाकाम कर दिया।
इस मामले से संबंधित सूत्रों के मुताबिक जिस वक्त उक्त महिला श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को हाथ डाल रही थी तो सेवादार ने झटपट उसको पीछे खींच लिया। महिला द्वारा इस प्रकार की हरकत क्यों की गई, यह जांच का विषय हो सकता है, फिलहाल पुलिस ने महिला के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
यह भी पता चला है कि बिमला पत्नी धर्मसिंह कौम जाट निवासी हिसार हरियाणा और वर्तमान स्थान लुधियाना गली न. 11 न्यू गगन नगर की रहने वाली बताई जा रही है। स्मरण रहे कि राज्य में पिछले 3 सालों के दौरान अलग-अलग स्थानों पर बेअदबी की घटनाओं को लेकर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है और ऐसे में सिखों के गढ़ के अंदर श्री दरबार साहिब अमृतसर में ऐसी घटना का सामने आने पर एसजीपीसी और प्रशासन की कार्यवाही पर बहुत बड़ा सवाल बना है।
अखंड पाठी मंजीत सिंह, विक्रम सिंह और सेवादारनी कुलदीप कौर ने संबंधित महिला आरोपी को काबू करके जतथेदार परिक्रमा के कमरा न. 56 में ले गए और फिर दोषी महिला को दरबार साहिब के थाना गलियारों की पुलिस के हवाले कर दिया। यह भी पता चला है कि पुलिस ने संबंधित महिला का डाक्टरी मुआयने के पश्चात उसके खिलाफ धारा 295ए के तहत मामला दर्ज करके जेल भेज दिया। पुलिस गलियारा के प्रमुख इंस्पेक्टर भगवान ङ्क्षसह ने इस कार्यवाही की पुष्टि की है।
श्री दरबार साहिब के प्रबंधक जसविंद्र सिंह दीनपुर ने भी घटना के बारे में इतनी ही जानकरी दी है किंतु सिख संगत में चर्चा है कि जिस महिला ने दरबार साहिब के अंदर बेअदबी की हरकत करने की कोशिश की, उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए अखंड पाठी ही आगे क्यों आएं। क्या दरबार साहिब के अंदरूनी और परिक्रमा प्रबंधों के लिए कोई भी सुपरवाइजर या प्रबंधक या सचिव मौके पर डयूटी पूरी नहीं कर सका।
स्मरण रहे कि अखंड पाठी श्री दरबार साहिब के पक्के कर्मचारी भी नहीं माने जाते, जोकि किसी भी गवाही की आवश्यकता पडऩे पर जोर देकर पेरवी कर सकें। शिरोमणि कमेटी ओर दरबार साहिब के प्रबंधकों की इस कार्यवाही को देखते हुए तंज कसा जा सकता है, ‘औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत’।
– सुनीलराय कामरेड
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