आंध्र प्रदेश में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आंध्र प्रदेश के ट्रांसपोर्ट विभाग में कार्यरत एक ऑफिस अटेंडेंट को मंगलवार को एंटी करप्शन ब्यूरो ने नेल्लोर से गिरफ्तार कर लिया।
अटेंडेंट पर आरोप है कि उसके नाम पर 10 करोड़ से अधिक की गैरकानूनी संपत्ति है। 55 वर्षीय के. नरसिम्हा रेड्डी नेल्लोर में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के यहां ऑफिस अटेंडेट का काम करता था। ACB का ध्यान उसपर तब गया जब उसने 40 हजार प्रति माह से भी कम की तनख्वाह होने के बावजूद उसने अपना 18वां जमीन का प्लॉट खरीदा। इसके बाद उसके दो मंजिला घर पर छापा मारा गया।
जहां सोने और हीरों की जूलरी के अलावा कई करोड़ रुपए के आभूषण भी बरामद किए गए। एसीबी ने कुल छह जगह रेड मारी। जहां से दो किलो सोना, सात किलो चांदी, 7.70 लाख रुपए नकद, पचास एकड़ से ज्यादा जमीन, 17 मकान के अलावा पेंटहाउस के बारे में भी जानकारी मिली है।
खबरों के अनुसार , आरोपी का मासिक वेतन महज चालीस हजार रुपए है। हालांकि छापेमारी के दौरान जब्त की गई करोड़ों रुपए की संपत्ति ने एसीबी को सकते में डाल दिया है। अधिकारियों को दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि आरोपी ने एक करोड़ रुपए का जीवन बीमा के अलावा, दस लाख और बीस लाख की एलआईसी पॉलिसी भी ले रखी है। जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि नरसिम्हा रेड्डी 22 अक्टूबर, 1984 से डीटीसी ऑफिस में नौकरी कर रहा है। पिछले 34 सालों से पहले बिना किसी तरक्की के इसी पद पर काम कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार नरसिम्हा रेड्डी ने 1984 में जब अटेंडेंट की सरकरी नौकरी शुरु की थी तब उसकी तनख्वाह 650 रु प्रति माह थी ACB के अनुसार उसने नेल्लोर में 1992 से प्लॉट खरीदने शुरू कर दिए थे और खुद वो 3,300 वर्ग फीट की बिल्डिंग में एमवी अग्रहरम में रहता है। उन 18 आवासीय प्लॉट्स और खेती योग्य 50 एकड़ जमीन की बाजार में कीमत लगभग 10 करोड़ हो सकती है।
रेड्डी ने पदोन्नति से इनकार कर दिया था क्योंकि वह एक अटेंडेंट रहकर रिश्वत के रूप में बहुत पैसा कमा रहा था। अधिकारियों ने कहा कि रेड्डी ने 1992 से नेल्लोर ग्रामीण मंडल में भूखंडों की खरीद शुरू कर दी थी और पिछले दस सालों में उसने सोने और चांदी के गहने जमा किए।
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