14 माह से बेटे की कैद से मुक्ति मिलते ही बोली मां, ‘मेरे पुत नूं कुछ ना कहना’ - Punjab Kesari
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14 माह से बेटे की कैद से मुक्ति मिलते ही बोली मां, ‘मेरे पुत नूं कुछ ना कहना’

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लुधियाना : इतिहास के पन्नों में मां को रब्ब का दूसरा दर्जा देकर नवाजा गया किंतु कलियुग में ऐसी कई घटनाएं कभी-कभार घटित हो जाती है जिसे देखकर कहा जा सकता है कि मांपे कदे कमापे नहीं हुनदे,पुत कपूत हो जानदें नें। ऐसा ही एक जीवंत दृश्य उस वक्त सामने आया जब लुधियाना में पिछले 14 माह से एक कलयुगी बेटे ने अपनी उम्रदराज बुजुर्ग मां को तालों में कैद करके रखा था जबकि स्वयं जिंदगी के हर पलों का आनंद उठाने के लिए अपने परिवार समेत दूसरे मकान में अलग रह रहा था। जानकारी के मुताबिक 14 सालों से बेटा मां से अलग रह रहा था जबकि डेढ़ साल पहले बूढ़ी मां का पति गोपाल दास उसे इस बेरहमी दुनिया में अकेला छोडक़र अलविदा कह गया था। बूढ़ी मां की दो बेटियां भी शादीशुदा है जबकि एकमात्र बेटा उसे न्यू टैगोर नगर स्थित उसके घर के कमरे में ही बंद करके दूसरी जगह पर रहने लगा था।

इधर अकेलेपन और लगातार अपनी किस्मत की दुर्दशा का रोना रोते हुए आंसुओं ने उस बूढ़ी आंखों की रोशनी भी छीन ली। हालांकि बेटा मां पर तरस खाकर दो वक्त का खाना देने चला आता था और फिर मां को ताले में बंद करके अपनी बसाई दुनिया में चला जाता था। बूढ़ी मां ने खाना खाया या नहीं उससे उसका कोई वास्ता नहीं था। लाचार बुजुर्ग मां के पास अकेलापन ही उसका संगी-साथी था और कभी ना खत्म होने वाली उसकी सिसकियां उसकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी थी। बूढ़ी और लाचार मां की चीखें रात को मोहल्ले वाले भी सुनते थे लेकिन निजी मामला होने के कारण कभी किसी ने इसमें कोई दखल नहीं दिया।

आखिरकार मोहल्ले में से ही किसी ने इस बारे में गैर सरकारी संस्था वूमेन वेल्फेयर एसोसिएशन को सूचना दी। जिस पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जांच उपरांत पुलिस बुलवाई और सालों से घर में ताला बंद इस बुजुर्ग को आजाद करवाकर अस्पताल पहुंचाया। एनजीओ से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिस वक्त पुलिस और मोहल्ले वालों के साथ बूढ़ी मां को बाहर निकाला गया तो उस वक्त कमरे में कई स्थानों पर सूखी रोटियां पड़ी थी और कमरे में ही मां ने स्थान-स्थान पर शौच निवृत किया हुआ था। ठिठुरती ठंड होने की वजह से वह ज्यादा चल नहीं पाती थी और उसकी टांगों पर भी कई स्थानों पर चोट के निशान देखे जा सकते थे। मां के मुताबिक वह दीवारों का सहारा लेकर थोड़ा बहुत चल पड़ती थी और जिंदगी को भगवान के हवाले करके जीवन काट रही थी।

मामला जब दुनिया के सामने आया, तो लानतों के उपरांत बुजुर्ग महिला के बेटे ने माफी मांगी और उपस्थित लोगों को विश्वास दिलाया कि आइंदा से वह मां के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा, जिस कारण उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई। वुमन वेलफेयर एसोसिएशन की महासचिव कंचन शर्मा ने बताया कि जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि एक बुजुर्ग और लाचार महिला को घर में बंधक बनाकर रखा गया है।

उनका कहना है कि उन्होंने इस बारे में चौकी जगतपुरी पुलिस को सूचना दी और अपने कार्यकर्ताओं के समय वहां पहुंचे। कंचन शर्मा के मुताबिक तभी पता चलने पर महिला का बेटा भी वहां आ गया। पहले तो वे उन्हें रोकता रहा और बुरा-भला कहता रहा। इतने में पुलिस भी वहां आ गई। पुलिस ने जब घर के ताले खुलवाए, तो तीन तालों के बाद एक अंधेरे कमरे में एक बुजुर्ग महिला थी। ये बुजुर्ग और कोई नहीं बल्कि उस व्यक्ति की मां थी। जिसे उसने सालों से बंद कर रखा था।

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– सुनीलराय कामरेड

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