लुधियाना में मिला अति दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाला शख्स - Punjab Kesari
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लुधियाना में मिला अति दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाला शख्स

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लुधियाना : अति दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाला शख्स लुधियाना में भी मिल गया है। हालांकि यह शख्स मूलरूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाला है, लेकिन पिछले 15 सालों से वह लुधियाना के शिवपुरी में रह रहा है। दरअसल, राम अजूर को भी इसकी जानकारी नहीं थी। यह खुलासा तब हुआ, जब वह गंभीर रूप से बीमार होने पर सीएमसीएच में भर्ती हुए। सीएमसीएच का दावा है कि राम अजूर लुधियाना में पहला ऐसा शख्स है, जिसका ब्लड ग्रुप बॉम्बे श्रेणी का है। लिहाजा सीएमसीएच प्रबंधन मरीज की पूरी देखभाल में जुट गया है।

सीएमसीएच के ब्लड बैंक इंचार्ज व पंजाब के पहले ट्रांसफ्यूज मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. ऐकज जिंदल के अनुसार राम अजूर को 2 मई को गंभीर स्थिति में क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में दाखिल करवाया गया। तीन मई को हुई जांच में उसके एनीमिया व डायबिटीज से पीडि़त होने की पुष्टि हुई। तत्काल इलाज के लिए खून की जरूरत थी। इसके चलते ब्लड ट्रांसफ्यूजन का निर्णय लिया गया।

खून चढ़ाने के लिए जब ब्लड सैंपल लेकर जांच की गई तो पहली जांच में मरीज का ब्लड ओ पॉजिटिव पाया गया। लेकिन, जब खून की क्रॉस मैचिंग में दिक्कत आई, तो फिर एडवांस इम्यूनो हिमेटोलॉजी टेस्टिंग की गई। इसका परिणाम देखकर सभी हक्के-बक्के रह गए, क्योंकि जांच में मरीज का ब्लड दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप का पाया गया।

10,000 में एक का होता है ये ग्रुप, मोहाली में मिला डोनर
डॉ जिंदल के मुताबिक यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड भारत में 10,000 लोगों में केवल एक व्यक्ति का होता है। अब परेशानी यह थी कि राम अजूर की जिंदगी बचाने के लिए इस ब्लड ग्रुप का व्यक्ति कहां से ढूंढ़ा जाए। 24 घंटे तक डोनर ढूंढऩे के बाद जब संकल्प इंडिया फाउंडेशन से संपर्क किया गया, तो वहां से मोहाली के रहने वाले हरजिंदर सिंह का मोबाइल नंबर मिला। हरजिंदर का ब्लड ग्रुप भी बॉम्बे ब्लड है। हरजिंदर से जब बात हुई, तो वह ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने सीएमसीएच में एक यूनिट ब्लड डोनेट किया, जिसके बाद राम अजूर की स्थिति बेहतर है।

मरीज के परिवार के सदस्यों के ब्लड की भी होगी जांच
डॉ. जिंदल बताते हैं कि यदि पिता का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप है तो ऐसी संभावना हो सकती है कि उनके बच्चों का ब्लड ग्रुप भी यही हो। राम अजूर के पांच बच्चे हैं। तीन बेटियां व दो बेटे। राम अजूर के साथ रह रहे एक बेटे व उनके रिश्तेदारों के ब्लड की जांच हमने कर ली है। उनका बॉम्बे ब्लड ग्रुप नहीं है। हमने मरीज से कहा है कि वह गांव में रह रहे अपने 4 बच्चों के ब्लड की जांच भी करवाए।

बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या होता है?
डॉ. जिंदल बताते हैं कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप की खोज वर्ष 1952 में डॉ. वायएम भेंडे ने बॉम्बे में की थी। इसको बॉम्बे ब्लड इसलिए कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले यह बॉम्बे के कुछ लोगों में पाया गया था।

– सुनीलराय कामरेड

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