स्रेब्रेनिका नरसंहार की याद में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से भारत ने क्यों बनाई दूरी
Girl in a jacket

स्रेब्रेनिका नरसंहार की याद में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से भारत ने क्यों बनाई दूरी

स्रेब्रेनिका नरसंहार : यूगोस्लाविया के विघटन के बाद हुए गृह युद्ध के दौरान 1995 में स्रेब्रेनिका में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था। अब इस नरसंहार की याद में एनुअल डे मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया। लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव से अलग रहने का फैसला किया।

HIGHLIGHTS

  • यूगोस्लाविया के विघटन के बाद हुए गृह युद्ध के दौरान 1995 में स्रेब्रेनिका में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था।
  • इस नरसंहार की याद में एनुअल डे मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया

भारत क्यों इस प्रस्ताव से दूर रहा

जर्मनी और रवांडा द्वारा लाये गए प्रस्ताव पर गुरुवार को 193 सदस्यीय महासभा में केवल 84 वोट पड़े। इससे विभिन्न देशों में मतभेद खुलकर सामने आ गए, क्योंकि ऐसे प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाए जाते हैं। उन्नीस देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 68 देश अनुपस्थित रहे और 22 ने बिलकुल अलग रहने का फैसला किया।भारत क्यों इस प्रस्ताव से दूर रहा, इसका कोई कारण नहीं बताया गया है।

750x450 536142 un general assembly

प्रस्ताव पारित के बाद क्या हुआ

प्रस्ताव पारित होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र हर साल 11 जुलाई को Òस्रेब्रेनिका में 1995 के नरसंहार का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाएगा। 1995 में बोस्निआ में 8000 मुसलमानों की हत्या हुई थी। गृहयुद्ध से जूझ रहे बोस्निया में आजादी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को देखते ही गोली मार दी गई थी।
संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थायी प्रतिनिधि एंटजे लेन्डर्टसे ने कहा कि उनका देश जर्मन नाज़ी द्वारा किए गए नरसंहार को दोबारा होने से रोकने के लिए प्रस्ताव को प्रायोजित कर रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों ने 60 लाख यहूदियों को मार डाला था।

808x539 cmsv2 8824aa0d 5744 55e8 a25a dace5b85d37b 8368470

किन  देशों ने किया सपोर्ट

लेन्डर्टसे ने कहा कि यह बोस्निया में स्रेब्रेनिका नरसंहार के पीड़ितों की याद का सम्मान करने के लिए था और यह सर्बों के खिलाफ नहीं था, बल्कि केवल उन लोगों के खिलाफ था जिन्होंने हत्याएं कीं।
पड़ोसी देश सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने जर्मनी के इतिहास को देखते हुए इस तरह का प्रस्ताव पेश करने के रुख पर सवाल उठाया और कहा कि इसे राजनीतिक कारणों से और सर्बियाई लोगों को कलंकित करने के लिए पेश किया गया था।
उन्होंने कहा, जिन लोगों ने नरसंहार को अंजाम दिया, उन पर पहले ही मुकदमा चलाया जा चुका है, दोषी ठहराया गया है और जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव एकतरफा है।इस प्रस्ताव को पश्चिम और रूस के बीच टकराव के नजरिये से भी देखा जा रहा है, क्योंकि सर्बिया मास्को का सहयोगी देश है।
अधिकांश मुस्लिम देशों ने प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों के साथ मतदान किया, उन्होंने गाजा में हो रही हत्या का भी मुद्दा उठाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × 5 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।