मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भरण-पोषण के एक अनोखे मामले में सुनवाई की। बता दें अदालत ने एक घरेलू हिंसा मामले में कहा कि पालतू पशु लोगों को स्वस्थ जीवन जीने और रिश्तों में तकरार के कारण होने वाली भावनात्मक कमी को दूर करने में मदद करते हैं। इस मामले में अपने पति से अलग रह रही एक महिला ने गुजारा भत्ता की मांग की थी, जिसमें उसने बताया कि उसके तीन कुत्ते भी उसके ऊपर ही निर्भर है।
पालतू पशु टूटे रिश्तों की भावनात्मक कमी को दूर करने में मदद करते
आपको बता दें इस मामले में बांद्रा अदालत के मजिस्ट्रेट कोमल सिंह राजपूत ने 20 जून को दिए अपने अंतरिम आदेश में व्यक्ति को अपनी पत्नी को 50,000 रुपये गुजारा भत्ता के तौर पर देने का आदेश दिया था। उन्होंने पालतू पशु भी एक सभ्य जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। मनुष्य के स्वास्थ्य जीवन के लिए पालतू पशुओं का किरदार अहम है। उन्होंने बताया कि पालतू पशु टूटे रिश्तों की भावनात्मक कमी को दूर करने में मदद करते हैं।
महिला ने 70,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण के लिए प्रार्थना की
दरअसल, महिला ने अदालत में बताया था कि उसकी शादी सितंबर 1986 में बेंगलुरु के एक कारोबारी से हुई थी। शादी के कुछ ही दिनों बाद उनके बीच झगड़े शुरू हो गए और 2021 में कारोबारी ने उसे मुंबई भेज दिया था।महिला ने कहा कि पति ने उसे भरण-पोषण और अन्य बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसने वादा पूरा नहीं किया। महिला ने कहा कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वह स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। महिला ने कोर्ट से कहा कि उनकी अन्य जरूरतों के अलावा तीन रॉटवीलर कुत्ते भी उन पर निर्भर हैं, इसलिए उन्होंने 70,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण के लिए प्रार्थना की।