आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलगु देशम पार्टी कि एनडीए में वापसी को लेकर जोरो शोरो से अटका लेख लगी हुई है लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि यह सारे दावे खोखले पड़ने वाले हैं क्योंकि इस बार बीजेपी चंद्रबाबू नायडू की नहीं बल्कि जगमोहन की तरफदारी करते हुए नजर आ रही है। तेलुगु देशम पार्टी का एनडीए में वापसी को लेकर संभावनाओं का काम होना सिर्फ एक बात की ओर ही इशारा करता है और वह है टीडीपी की विरोधी वाईएसएर-कांग्रेस पार्टी का बीजेपी से घनिष्ठ प्रेम। जिसे वह छोड़ने के लिए मंजूरी नहीं दे रही है। बीते महीने चंद्रबाबू नायडू की दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को एक बड़ी राजनीतिक हलचल के रूप में देखा गया था। हर तरफ संभावना यह जताए जा रही थी कि जल्द ही एनडीए में पुरानी पार्टी की वापसी होने वाली है लेकिन सभी का यह अनुमान शायद गलत साबित हो सकता है।
क्या है बीजेपी और जगमोहन के बदलते रिश्ते का जवाब?
एक मीडिया रिपोर्ट सीमा ने तो चंद्रबाबू नायडू इस समय भी दिल्ली में ही मौजूद हैं। लेकिन इस बार उनके किसी भी भाजपा नेता से मुलाकात की संभावनाएं नहीं बताई जा रही। सोमवार के दिन चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से मुलाकात की थी। जहां उन्होंने आंध्र प्रदेश की मतदाता सूची में फर्जी वोटर्स को शामिल करने की शिकायत भी दर्ज की थी। नायडू को अभी भी ये इंतजार है की उनको बीजेपी की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है की बीजेपी का उनको एनडीए में शामिल करने का मूड नहीं है। बल्कि बीजेपी इस बार वाईएसआरसीपी के साथ रिश्ता बनाने की चाह रख रही हैं । क्योंकि साल 2014 में जगमोहन रेड्डी को आंध्र प्रदेश के 70 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं नायडू की पार्टी को 116 सीटें मिली थी। लेकिन पांच साल बाद ही वाईएसआरसीपी एक बड़ी पार्टी बनी जिसने विधान सभा चुनावों में 151 सीटें हासिल किए थे, वहीं नायडू की पार्टी ने सिर्फ 23 । जिस कारण बीजेपी इस बार हो सकता है की जगमोहन का हाथ थामे रखे।