इन दिनों सबकी राजनीति एक तरफ और महाराष्ट्र की राजनीति एक तरफ नजर आ रही है क्योंकी यहां कभी एकनाथ शिंदे संजय राउत या फिर अजीत पवार की चर्चा होती ही रहती है। इन सबके बीच अजीत पवार की राजनीति पर सवाल उठ रहे है। क्योंकी अब अजीत पवार का सपना पूरा हो गया है क्योंकि उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया गया है।
चर्चाओं में अजीत पवार
जबसे उन्होंने शपथ ली है तबसे ही वो चर्चाओं में बने हुए है। बता दें अजीत पवार को एनसीपी में बड़ी जिम्मेदारी न मिलने पर वो नाराज थे इसलिए वो देवेंद्र फणनीवीस के साथ शपथ ले चुके है। इसके बाद अब सीएम शिंदे के साथ दो डिप्टी सीएम काम करेंगे। बताया जा रहा है कि इसके संकेत पहले से ही मिल रहे थे की अजीट पवार लंबे समय से शरद पवार से नाराज चल रहे थे।
शिंदे सरकार का थामा दामन
अब उन्होंने शिंदे का दामन थाम लिया है अजीत के इस फैसले के बाद शरद पवार पर तमाम तरह के सवाल उठाए जाएंगे। क्योंकि अजीत पवार के साथ 40 विधायक है जो उनके साथ ही शिंदे सरकार में शामिल होंगे। इसके बाद एनसीपी को लेकर अब ये कहा जा रहा है कि एनसीपी खत्म हो जाएगी एसा माना जा रहा है।
एनसीपी से क्यों दिया इस्तीफा
इन सबके बीच ये जान लेना जरुरी है कि की आखिर अजीत पवार ने एनसीपी से इस्तीफा क्यों दिया। दरअसल शरद पवार को एनसीपी का सबसे बड़ा नेता माना जाता है जब उनके इस्तीफे की बात आई थी तो पवार को फिर से अपनी पार्टी की कमान संभालने को तैयार हो गए। जाहिर है शरद पवार की इस्तीफे की राजनीति ने पार्टी में उन्हें सबसे बड़ा नेता साबित किया और इसी अवसर की तलाश में शरद पवार ने एनसीपी में दो कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश में अध्यक्ष के नामों की घोषणा कर अजीत पवार को पीछे धकेल दिया। इस दौरान अजीत बेहद नाराज भी हो गए थे।
चाचा शरद पवार से नाराज चल रहे थे
उनकी नाराजगी बताती है कि वो राजनीति में लंबी छलांग लगाना चाहते थे लेकिन उनके रास्ते में उनके चाचा शरद पवार ही बाधक बनते रहे हैं।अजीत पवार न तो शरद पवार की राजनीतिक विरासत के हकदार बन पाए और न ही अजीत पवार अपने दम पर पहचान बना पाए है। उनका हाल बिल्कुल शिवपाल की तरह हो चुका था।
इस वजह से नाराज थे अजीत
उनको इंतजार था कि शरद पवार उन्हें बड़ी जिम्मेदारी नहीं दे रहे है जिसके चलते अजीत नाराज थे । 2009 में डिप्टी सीएम को लेकर भी अजीत शरद पवार से नाराज थे। इसके बाद हाल ही में जब शकद पवार ने अपनी बेटी सुप्रीया सुले को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दे दी जिसके बाद अजीत और नाराज हो गए । अब उन्हें लगने लगा कि उनका राजनीति में टिकना अब मुश्किल हो जाएगा। इसलिए उन्होंने डिप्टी सीएम बनने के सपने को पूरा करने के लिए शिंदे का हाथ थाम लिया और एनसीपी से इस्तीफा दे दिया।