वोटिंग से पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा के पीछे किसका हाथ ? - Punjab Kesari
Girl in a jacket

वोटिंग से पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा के पीछे किसका हाथ ?

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव जारी है यहां आज वोटिंग के समय जबरदस्त हिंसा देखने को मिली। जिसमें

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव  जारी है यहां आज वोटिंग के समय जबरदस्त हिंसा देखने को मिली। जिसमें कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में ये हिंसा कोई पहली बार नहीं हुई है। बल्की  वहां हिंसा काफी पुराने समय से हो रही है । आज इस वीडियो में  हिंसा को लेकर ही बात करेंगे और इसके पीछे कौन है इस बारे में भी बात करेंगे।
पश्चिम बंगाल में काफी समय से हो रही है हिंसा
वैसे तो चुनाव के समय कई राज्यों में हिंसा देखने को मिलती है पर पश्चिम बंगाल एक एसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा हिंसा देखने को मिलती है।  यहां पंचायत चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हो चुनाव के आसपास हिंसा जरुर देखने को मिलती है। एसा लगता है कि हिंसा  चुनावी प्रक्रिया का कोई जरूरी हिस्सा हो।
हिंसा में रेप तक की घटनाएं हुई
पिछले कुछ चुनावों में भी वोटिंग से पहले और नतीजों के बाद यहां  खून-खराबे के साथ-साथ रेप तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बमबारी के साथ साथ पत्रकारों पर हमले किए जाते रहे है।  2018 में हुए चुनाव में पश्चिम बंगाल में  20 लोगों की मौत हुई थी। करीब 34 साल  में हिंसा होती ही  रही है।
 पश्चिम बंगाल में हिंसा का इतिहास  
यहां हिंसा का अपना  इतिहास  है इसकी बात करें तो  बंगाल में राजनीतिक हिंसा यहां के इतिहास और संस्कृति का हिस्सा रही है कभी 17वीं शताब्दी में  शाहजहां के बेटे  ने  और बंगाल के गवर्नर मिर्जा शाह शुजा ने इस राज्य को ‘शांतिप्रिय’ बताया था। शांतिप्रिय बताने के एक सदी के अंदर 1770 में बंगाल में अकाल पड़ा जिसमें खुब हिंसा हुई। फिर एक सदी बाद 1870 और 1880 के बीच कुछ ऐसा ही हुआ- अकाल मौतें और हिंसा की वजह से यहां के हालात बिगड़ गए।
 1946 में हुए थे भीषण दंगे
आजादी से पहले भी 1943 में ऐसा ही हुआ। अकाल में लाखों लोगों की मौत हुई। फिर तीन साल बाद 1946 में भीषण दंगे हुए। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग को लेकर ‘डायरेक्ट एक्शन’ का आह्वान किया था। तब कलकत्ता की सड़कों पर हजारों लोग मारे गए. आज भी लोग इस किताबों में ‘द ग्रेट कैलकटा किलिंग’ के नाम से पढ़ते हैं।
 2003 में भी 76 लोग मारे गए थे
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी  2003 के पंचायत चुनाव में उतरती है इसी  दौरान  
 76 लोग मारे गए थे।  जिसमें  सबसे ज्यादा सीपीएम के ही 31 कार्यकर्ता थे। कांग्रेस के 19 और टीएमसी और बीजेपी के आठ-आठ कार्यकर्ता मारे गए थे  बीजेपी के उदय ने हिंसा का रुख बदला।
ममता बनर्जी  ने इन विचारधारों से की हिंसा
 ममता बनर्जी  पहले तो मतुआ समुदाय को लेकर आइडेंडिटी पॉलिटिक्स करती थी। फिर गोरखा समुदाय और बाद में मुसलमानों को लेकर इसी तरह की राजनीति हुई। इसके बाद  जब काउंटर में बीजेपी ने हिंदुत्व की राजनीति को अपना आधार बनाया। तबसे हिंसा और बढने लगी।
पश्चिम बंगाल में हिंसा का जिम्मेदैार कौन
यहां अब हिंदू मुस्लिम की राजनीति होती है।  यहां हो रही हिंसा की जिम्मेदार टीएमसी और सीपीएम मानी जाती है जो आज भी जारी है। पंचायत चुनाव को यहां काफी अहम माना जाता है। इसी चुनाव से ही राजनीति में नेता अपनी पहचान बनाते है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि पुराने समय से चल रही हिंसा बंगाल में रुकने का नाम नहीं ले रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × one =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।