इस बार संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष द्वारा लाए गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर खुब चर्चा हो रही है।पिछले छह दिनों से संसद का मानसून सत्र जारी है। लेकिन मणिपुर मामले को लेकर भी दोनों सदनों में खूब हंगामा हो रहा है।विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि पीएम मोदी सदन में आकर मणिपुर मामले पर बात करें।
अविश्वास प्रस्ताव की एंट्री
इन सबके बीच अब अविश्वास प्रस्ताव की एंट्री हो गई है जिसको सभापती ओमबिरला ने मंजूरी भी दे दी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष गौरव गोगोई नेकेंद्र ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि
मोदी सरकार काफी आसानी से विश्वास मत हासिल करने में कामयाब रही।
इसी प्रस्ताव की वजह से गिरी थी अटल बिहारी की सरकार
मगर एक समय बीजेपी का एसा था जब अटल बिहारी वाजपेयी अविश्वास प्रस्ताव के समय बहुमत साबित नहीं कर पाए थे सिर्फ एक वोट से अटल बिहारी की सरकार गिर गई थी। इस दौरान उन्होंने सदन मे जो बात कही थी उसकी आज भी खूब चर्चा होती है। ये बात 1999 की है जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया था और वाजपेयी सरकार विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर हो गई थी।
AIADMK के समर्थन से एनडीए ने बनाई थी सरकार
1998 के आम चुनाव में किसी भी पार्टी को पूरी तरह बहुमत नहीं मिला था मगर, AIADMK के समर्थन से एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई थी।
13 महीने बाद अल्पमत में आई सरकार
करीब 13 महीने बाद अप्रैल 1999 में दिवंगत नेता जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने वाजपेयी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। और सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद फिर राष्ट्रपति ने सरकार को अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा। जिसके बाद वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा। इसके बाद से संसद के गलियारों में गहमागहमी शुरू हो गई थी।
1999 में अविश्वास प्रस्ताव से गिरी थी सरकार
17 अप्रैल 1999 को लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर जब वोटिंग हुई तब सरकार एक ही वोट से हार गई और इस तरह उनकी सरकार गिर गई। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री गिरधर गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट दिया था। वो दो महीने पहले ही सीएम बने थे।
सांसद सैफुद्दीन सोज ने भी खिलाफ में किया था वो़ट
ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ गमांग ही नहीं बल्कि मायावती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद सैफुद्दीन सोज ने भी सरकार के खिलाफ वोट किया था। इस तरह से विश्वास मत के पक्ष और खिलाफ में वोट पड़ने के बाद लोकसभा स्पीकर ने एलान किया कि विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े। विपक्षी वाजपेयी की सरकार गिरने की खुशी मनाने लगे। मगर अटल बिहारी वाजपेयी ने हाथ सिर से लगा कर सलाम कर सदन का फैसला माना। स्पीकर के फैसले के बाद तेरह महीने पुरानी वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी । राजनीति में इस घटना की चर्चा अकसर होती रहती है।
अविश्वास प्रस्ताव की एंट्री
इन सबके बीच अब अविश्वास प्रस्ताव की एंट्री हो गई है जिसको सभापती ओमबिरला ने मंजूरी भी दे दी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष गौरव गोगोई नेकेंद्र ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि
मोदी सरकार काफी आसानी से विश्वास मत हासिल करने में कामयाब रही।
इसी प्रस्ताव की वजह से गिरी थी अटल बिहारी की सरकार
मगर एक समय बीजेपी का एसा था जब अटल बिहारी वाजपेयी अविश्वास प्रस्ताव के समय बहुमत साबित नहीं कर पाए थे सिर्फ एक वोट से अटल बिहारी की सरकार गिर गई थी। इस दौरान उन्होंने सदन मे जो बात कही थी उसकी आज भी खूब चर्चा होती है। ये बात 1999 की है जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया था और वाजपेयी सरकार विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर हो गई थी।
AIADMK के समर्थन से एनडीए ने बनाई थी सरकार
1998 के आम चुनाव में किसी भी पार्टी को पूरी तरह बहुमत नहीं मिला था मगर, AIADMK के समर्थन से एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई थी।
13 महीने बाद अल्पमत में आई सरकार
करीब 13 महीने बाद अप्रैल 1999 में दिवंगत नेता जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने वाजपेयी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। और सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद फिर राष्ट्रपति ने सरकार को अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा। जिसके बाद वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा। इसके बाद से संसद के गलियारों में गहमागहमी शुरू हो गई थी।
1999 में अविश्वास प्रस्ताव से गिरी थी सरकार
17 अप्रैल 1999 को लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर जब वोटिंग हुई तब सरकार एक ही वोट से हार गई और इस तरह उनकी सरकार गिर गई। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री गिरधर गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट दिया था। वो दो महीने पहले ही सीएम बने थे।
सांसद सैफुद्दीन सोज ने भी खिलाफ में किया था वो़ट
ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ गमांग ही नहीं बल्कि मायावती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद सैफुद्दीन सोज ने भी सरकार के खिलाफ वोट किया था। इस तरह से विश्वास मत के पक्ष और खिलाफ में वोट पड़ने के बाद लोकसभा स्पीकर ने एलान किया कि विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े। विपक्षी वाजपेयी की सरकार गिरने की खुशी मनाने लगे। मगर अटल बिहारी वाजपेयी ने हाथ सिर से लगा कर सलाम कर सदन का फैसला माना। स्पीकर के फैसले के बाद तेरह महीने पुरानी वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी । राजनीति में इस घटना की चर्चा अकसर होती रहती है।