पश्चिम बंगाल में कुर्मी समुदाय के आंदोलनकारियों ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की अपनी मांग को लेकर मंगलवार को रेल पटरियों पर बैठकर गाड़ियों का आवागमन बाधित किया और एक राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अवरुद्ध किया। रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा और खड़गपुर मंडलों में आंदोलन के कारण ट्रेन सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं।
पटरियों पर आंदोलनकारियों का कब्जा, लाखों यात्री प्रभावित
उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी आद्रा मंडल के निमडीह व कस्तौर और खड़गपुर मंडल के खेमासुली में सुबह पांच बजे से रेल पटरियों पर बैठ गए, जिससे यात्री और मालगाड़ियों की आवाजाही प्रभावित हुई। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि आंदोलनकारियों ने पुरुलिया में एक राष्ट्रीय राजमार्ग को भी जाम किया।
आपको बता दे की कुर्मी जाति ‘जनजाति’ शामिल होने के लिए काफी ्समय राज्य सरकार के सामने अपनी आवाज उठा रही हैं। लेकिन केंद्र के साथ राज्य सरकार भी कुर्मी जाति को जनजाति में शामिल करने के लिए कोई इच्छा नहीं जता रही हैं।
35 से 40 फीसदी कुर्मी वोटर
कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झाड़ग्राम संसदीय क्षेत्र में करीब 35 से 40 फीसदी कुर्मी वोटर हैं, यही वो समुदाय है जिसने 2014 में 42 सालों बाद वाम प्रत्याशी को हराने में ममता बनर्जी की मदद की थी, झाड़ग्राम में 1977 से 2009 तक सीपीएम का दबदबा रहा, लेकिन 2014 में टीएमसी की उमा सोरेन ने सीपीएम के पुलिन बिहारी बस्के को 3,47,883 वोटों से हराकर उनका वर्चस्व खत्म कर दिया।