मणिपुर में एक बार हिंसा भड़क गई है। यहां सैबोल गांव से सुरक्षा बलों को हटाये न जाने पर भीड़ ने कांगपोकपी जिले में शुक्रवार शाम को पुलिस कार्यालय पर हमला कर दिया। सैबोल गांव इंफाल पूर्वी जिले की सीमा पर स्थित है। इस हमले में इलाके में भगदड़ का माहौल हो गया। वहीं, कई लोगों के घायल होने की खबर है। कुकी संगठन सैबोल गांव में 31 दिसंबर को सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं पर कथित रूप से लाठीचार्ज किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने गांव में केंद्रीय बलों, खासकर बीएसएफ और सीआरपीएफ की लगातार तैनाती पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए कार्यालय पर पथराव किया और अन्य चीजों से हमला किया। साथ ही पुलिस कार्यालय के पास खड़े वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
कांग्रेस ने राज्य में जारी संकट की आलोचना की
इससे पहले कांग्रेस ने शुक्रवार को राज्य में जारी संकट को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर निशाना साधा था। मणिपुर कांग्रेस ईकाई ने इस दावे को लेकर आलोचना की कि राज्य के सामने मौजूद चुनौतियां कानून-व्यवस्था की स्थिति से उचित तरीके से निपटने के बजाय पिछली सरकार की विफलताओं के कारण हैं। यह बयान मुख्यमंत्री के इस दावे के कुछ घंटों बाद आया है कि जो लोग 20 महीने से चल रहे जातीय संघर्ष पर लोगों से उनकी माफी पर राजनीति कर रहे हैं, वे राज्य में अशांति पैदा करना चाहते हैं।
पिछले साल हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए
विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का काम कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू हुआ था न कि ये भाजपा के कार्यकाल में हुआ है। जैसा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया है। मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार कहती रही हैं कि म्यांमा से घुसपैठ इस पूर्वोत्तर राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा का एक प्रमुख कारण है, जिसमें पिछले साल मई से अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं।