उत्तराखंड : मुख्यमंत्री रावत बोले- सदन का अध्यक्ष अभिभावक के समान - Punjab Kesari
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उत्तराखंड : मुख्यमंत्री रावत बोले- सदन का अध्यक्ष अभिभावक के समान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में विधायी निकायों के अध्यक्षों की भूमिका

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में विधायी निकायों के अध्यक्षों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए बुधवार को कहा कि सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरह होता है। यहां भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79 वें सम्मेलन के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘‘एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में सदन के सम्मानित अध्यक्ष की भूमिका एक अभिभावक की होती है। वहां सभी सदस्यों को अधिकतम अवसर देना और उनकी सुनना बड़ी बात है। इसके लिए कौशल की जरूरत होती है जो आप सभी के पास है।’’
मुख्यमंत्री रावत ने इस संदर्भ में कहा कि कई बार सदन में स्थिति असहज हो जाती है और ऐसे दृश्य सामने आते हैं जो नहीं होने चाहिए लेकिन ऐसे समय में भी अध्यक्ष बड़े संयम, शालीनता, मर्यादित और आत्मनियंत्रण से सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं। उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष की तुलना राम और लक्ष्मण से की तथा कहा राम की भूमिका शालीन होती है जबकि लक्ष्मण का स्वभाव आक्रामक और उग्र होता है।

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उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोकसभा में जैसा कार्य हो रहा है, वह ऐतिहासिक है। रावत ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कुशलता से सदन को संचालित किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में भी विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने विधायकों को अधिकतम प्रश्न उठाने का मौका दिया है। 
सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में लोकसभा और राज्यसभा के अलावा देशभर के विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं और विधानपरिषदों के पीठासीन अधिकारी और सचिव हिस्सा ले रहे हैं। उत्तराखंड में पहली बार हो रहे इस सम्मेलन पर हर्ष जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के आयोजन की 98 वर्षों की परंपरा में आज उत्तराखंड भी शामिल हो गया है। 
लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदन के सुचारू संचालन को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि यही वह जगह है जहां से देश को या राज्यों को चलाने के लिए गंभीर चर्चाएं होती हैं, कानून बनते हैं और जनता से जुड़े मुद्दे उठते हैं। रावत ने संसद में अध्यक्षीय शोध के तहत नए-नए शोध और तकनीकों को बढ़ावा मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यों की विधानसभाओं में भी इसे लागू करने पर विचार करना चाहिए। 

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उन्होंने कहा कि संसद की तरह ही विधानसभाएं भी बेहतर ‘परफॉरमेंस’ और ‘प्रोडक्टिविटी’ दें तो न्यू इंडिया के निर्माण का सपना जल्द साकार होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की भारत में विशिष्ट पहचान है और भारत में पायी जाने वाली 16 प्रकार की जलवायु में से 14 प्रकार की जलवायु प्रदेश में मौजूद हैं। 
उन्होंने कहा कि केवल समुद्री और रेगिस्तानी जलवायु ही यहां नहीं है। रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट की शुरूआत होने वाली है और प्रयास है कि राज्य में जल्द ही ई-विधानसभा की भी शुरूआत की जाये। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि इस सम्मेलन में संविधान की दसवीं अनुसूची, संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण, क्षमता तथा निर्माण आदि विषयों पर चर्चा होगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सम्मेलन में होने वाले मंथन से भविष्य में अच्छे परिणाम मिलेंगे। 

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