एक दो घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर सकती : केसरी नाथ त्रिपाठी - Punjab Kesari
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एक दो घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर सकती : केसरी नाथ त्रिपाठी

समाज की रक्षा कैसे हो सकेगी।’ उन्होंने कहा, ‘आज हमारे देश में लोगों को न्याय दिलाने के लिए

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी बुधवार को राजधानी लखनऊ में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लेने पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में एक दो घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर सकतीं। त्रिपाठी ने कहा, ‘जब कुछ लोग कहते हैं कि देश का लोकतंत्र खत्म होने वाला है, तो ऐसी बातें सुनकर बहुत दु:ख होता है। उन्होंने कहा कि एक दो घटनाओं से लोकतंत्र खत्म नहीं होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि देश की एकता और अखंडता पर सवाल उठाने वालों को राष्ट्र और संविधान कभी माफ नहीं करेगा।’ उनके इस बयान को अभिनेता नसीरूद्दीन शाह के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने देश के हालात पर चिंता जताई थी और कहा था कि वो बच्चों को लेकर देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। नसीरूद्दीन शाह ने बुलंदशहर का भी जिक्र करते हुए कहा था कि इंसान के हत्यारे की जगह गाय के हत्यारों को पकड़ने को तरजीह दी जा रही है। समाज आज जहर से घिर गया है।

अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा। इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है। त्रिपाठी ने कहा, ‘इतने बड़े देश में एकाधा छोटी-मोटी घटना से लोकतंत्र समाप्त नहीं हो जाता है। अभी हाल में एक घटना को लेकर यहां तक कहा गया कि लोकतंत्र समाप्त हो गया है और देश में भय का वातावरण है। यह बहुत सोचने वाली बात है कि कुछ लोग देश व राष्ट्र के प्रति बहुत गैर जिम्मेदाराना बातें करते हैं। यदि हम सभी राष्ट्रहित का ध्यान नहीं रखेंगे तो संविधान और समाज की रक्षा कैसे हो सकेगी।’ उन्होंने कहा, ‘आज हमारे देश में लोगों को न्याय दिलाने के लिए जनहित याचिकाओं का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।

जनहित याचिकाकर्ताओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि न्याय और न्यायालय की गरिमा बनी रहे। उसकी छवि धूमिल न हो, अगर अधिवक्ता ही न्यायाधीश एवं न्यायालय के प्रति आदर का भाव नहीं रखेंगे तो पूरे न्याय व्यवस्था की प्रतिष्ठा कैसे बचेगी। जब आम-जन का न्याय से विश्वास डिगेगा ऐसी स्थिति में समाज का न्यायपालिका के प्रति आदर का भाव नहीं रहेगा। न्यायपालिका में न्यायाधीशों के साथ अधिवक्ताओं की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने मुवक्किल व समाज को कैसे न्याय दिला रहा है।’

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